विश्व फार्मासिस्ट दिवस के उपलक्ष्य में धर्मेंद्र उनियाल ‘धर्मी’ की एक रचना
धर्मेंद्र उनियाल ‘धर्मी’
चीफ फार्मासिस्ट, अल्मोड़ा
———————————————————-
निज सेवाओं में उत्कृष्ट हूं,
हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं।
औषधियों का ज्ञान मुझ में,
तर्क और विज्ञान मुझ में,
स्वास्थ्य की रक्षा में तत्पर,
आरोग्य के लिए आकृष्ट हूं।
हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं।
चिकित्सालय का आधार हूं
मैं औषधियों का भंडार हूं,
व्याधियों का शमन कर्ता,
बहुमूल्य हूं अति विशिष्ट हूं।
हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं।
चिकित्सा का एक पाद हूं,
स्वतंत्र हूं मैं निर्विवाद हूं,
सबके हित में खड़ा हुआ,
अदृश्य नहीं मैं दृष्ट हूं।
हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं।
निज क्षमता पर खड़ा हूं मैं,
रोग से हर पल लड़ा हूं मैं,
भैषज्य की कल्पना में डूबा,
मैं ज्ञान का परिशिष्ट हूं।
हां, मैं एक फार्मासिस्ट हूं।