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डीएम ने विभागों से कहा, क्या हो सकता है निर्यात, सूची बनाकर दें

-जनपद देहरादून में निर्यात के लिए संभावित उत्पादों व सेवाओं का चिन्हीकरण का काम शुरू, डीएम ने विभागों को एक सप्ताह में सूची तैयार करने कहा गया, बैठक में देनी होगी सभी जानकारी

देहरादून (dehradun)। जनपद देहरादून (district dehradun) से क्या सामान निर्यात (export) किया जा सकता है, इसकी जानकारी डीएम (dm) ने विभिन्न विभागों से मांगी है। विभागों को एक सप्ताह में सूची तैयार करने को कहा गया है। सामान की सूची और उसकी पूरी जानकारी सहित विभागीय अधिकारियों को बैठक में हाजिर होना है।
डीएम डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव (dm Dr Ashish Kumar Shrivastava) ने में गुरुवार को जिला निर्यात प्रोत्साहन समिति की बैठक (meeting) ली। उन्होंने विभिन्न विभागीय अधिकारियों को जनपद में निर्यात के लिए सम्भावित उत्पादों व सेवाओं का चिन्हीकरण करने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खण्डेलवाल, महाप्रबन्धक उद्योग शिखर सक्सेना, मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी, उद्योग एसोसिएशन से पंकज गुप्ता आदि मौजूद रहे।

इन विभागों को सौंपा गया निर्यात के सामान की सूची बनाने का काम

कृषि और उससे सम्बंधित उद्यान, मत्स्य, डेयरी, पशुपालन आदि। साथ ही पर्यटन, उद्योग, शिक्षा व संस्कृति आदि विभागों को व्यापक पैमाने पर निर्यात प्रोत्साहन के लिए एरियावाइज विभिन्न प्रोडक्ट व सेवाओं की पहचान करने के निर्देश।

एक विभाग को देने होंगे 10 उत्पाद व सेवा चिन्हित करने का जिम्मा

प्रत्येक विभाग को एक सप्ताह के अंदर ऐसे 10 उत्पाद या सेवाओं की सूची तैयार करनी है, जो व्यावहारिक रूप से निर्यात करने योग्य हों। ऐसे उत्पाद जिनकी आउटसाइड डिमांड हो और उस डिमांड को पूरा किया जा सकता हो। साथ ही लीक से हटकर हो व क्वालिटी बेहतर हो।

डीएम ने उदाहरण देकर समझाया

डीएम ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में बहुत से उत्पादों और सेवाओं के निर्यात की व्यापक संभावनाएं छुपी हुई होती हैं। लोगों के पास बहुत ऐसी जानकारी या ऐसे उत्पाद होते हैं, जिनको आईडेंटिफाई कर बेहतर ब्राण्डिंग व पहचान देकर उसे निर्यात योग्य बनाया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि देहरादून शहर की बासमती, लीची, बेकरी व डेकोरेटेड लाइट के सामान को फिर से बेहतर तरीके से प्रोजेक्ट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त स्कुलिंग एजुकेशन, टूरिस्ट, आईटी, इत्यादि में भी संभावनाएं हैं।

यहां हैं अपार संभावनाएं

कालसी-चकराता क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की दालें (राजमा, कुथली, सोयाबीन, उड़द) अखरोट, हनी, पहाड़ी मुर्गे, अंडे, सेब, एयरोमैटिक, फाॅर्मा, जूट से निर्मित उत्पाद, हथकरघा उत्पाद, हर्बल उत्पाद, आर्गेनिक उत्पाद व मौसम के अनुसार बने उत्पाद में व्यापक संभावनाएं हैं। इनकी ब्रांडिंग की जरूरत है। इसी तरह टैक्सटाइल में भी बेहतर संभावना हैं। चकराता में पर्यटन को स्थानीय संस्कृति, बोली-भाषा, खान-पान, नृत्य-संगीत, लोकल एडवेंचर, ट्रैकिंग से जोड़कर बेहतर किया जा सकता है।

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