क्या अतीक को सावरमती जेल से निकालने के पीछे असद था पुलिस का टारगेट
-एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में आरोपियों की पहचान कर उनके पीछे पुलिस टीम लगाई गई थी।
उमेश पाल हत्याकांड में डेढ़ महीने बाद पांच लाख का इनामी और माफिया अतीक अहमद का बेटा असद पुलिस के चक्रव्यूह में फंस गया। पुलिस ने ऑपरेशन को प्लान को बड़ी सूझ-बूझ के साथ अंजाम दिया। अतीक अहमद को साबरमती जेल से झांसी के रास्ते प्रयागराज लाना दर्शाता है कि इसके पीछे असद को बाहर लाने का प्लान था। पुलिस के मुताबिक अतीक और अशरफ को छुड़ाने के लिए असद पुलिस काफिले पर हमले की फिराक में था।
उत्तर-प्रदेश में माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और शूटर गुलाम के एनकाउंटर के बाद उत्तर-प्रदेश पुलिस के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में आरोपियों की पहचान कर उनके पीछे पुलिस टीम लगाई गई थी। हत्यारोपियों को आज ढेर कर दिया। उन्होंने कहा है कि अतीक/अशरफ को छुड़ाने के लिए असद पुलिस काफिले पर हमला करना चाहता था।
साबरमती जेल से दो बार प्रयागराज लाया गया अतीक अहमद को
उमेश पाल हत्याकांड में नामजद माफिया अतीक अहमद को 15 दिन के अंतराल में गुजरात की साबरमती जेल से दो बार प्रयागराज लाया गया। पहली बार 28 मार्च को इलाहाबाद कोर्ट में पेश करने के लिए अतीक को लाया गया और दूसरी बार 12 अप्रैल यानी कल अतीक प्रयागराज पहुंचा था। कहीं असद को बाहर लाने के लिए ही तो दोनों बार अतीक को सड़क के रास्ते प्रयागराज नहीं लाया गया? सूत्रों के अनुसार, अतीक अहमद को पिछली बार गुजरात की साबरमती जेल से जब प्रयागराज ले जाया जा रहा था तो अतीक के एनकाउंटर के डर से उसके घर की महिलाओं के अलावा कुछ संदिग्ध गाड़ियां भी देखी गईं थी। यहां से कहानी ने नया मोड़ लिया और पुलिस ने प्लान तैयार किया। पुलिस ने अतीक को दोबारा प्रयागराज लाने के लिए सड़क का रास्ता ही चुना, इस बार अतीक का बेटा असद और शूटर गुलाम फंस गया।
अतीक के गुर्गों को बाहर निकलने के लिए कर दिया मजबूर?
मुमकिन है कि पुलिस को उम्मीद थी कि इस बार भी ऐसा कुछ होगा। इस बार पहले से तैयार पुलिस के रडार में असद आ गया। इसके बाद पुलिस ने असद को ट्रैक किया, सही समय देखकर उसे पकड़ने का प्रयास लेकिन, वह एनकाउंटर में मारा गया। असद तीसरे नंबर का बेटा था। बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में बंद है। दूसरे नंबर का अली नैनी जेल में है। चौथे और पांचवे नंबर के नाबालिग बेटे बाल सुधार गृह राजरूपपुर में हैं। 15 दिन के भीतर दो बार अतीक जैसे अपराधी को सड़क के रास्ते लाना, वो भी तब जब गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज तक सफर करीब 24 घंटे से भी अधिक का हो। पुलिस ने जोखिम उठाया और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अतीक की कोर्ट में पेशी नहीं कराई। क्या सड़क के रास्ते अतीक को लाकर उसके गुर्गों को बाहर निकलने के लिए मजबूर कर दिया?
घात लगाए बदमाशों ने उमेश पाल को गोली मार दी
2005 में हुई विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में उमेश पाल मुख्य गवाह थे। 24 फरवरी शुक्रवार को करीब 4.30 बजे उमेश कार से वापस सुलेमसराय, धूमनगंज स्थित अपने घर के लिए चल दिए। जैसे ही गेट पर गाड़ी रोककर उमेश उतरे, पहले से घात लगाए बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी। उमेश गोली लगने से गिरने के बाद उठकर घर के भीतर भागे। साथ में उनकी सुरक्षा में लगे दोनों सिपाही भी उन्हें बचाने के लिए घर के अंदर भागे। लेकिन, हमलावरों ने घर के अंदर घुसकर गोलियां बरसाईं। बदमाशों ने बम भी चलाए। बम और गोलियों की बौछार से इलाका थर्रा गया। हमलावर वहां से फरार हो गए। उमेश पाल, सिपाही संदीप और राघवेंद्र लहूलुहान पड़े थे। तीनों को एसआरएन हॉस्पिटल ले जाया गया। डाक्टरों ने एक घंटे बाद उमेश पाल को मृत घोषित कर दिया। आजमगढ़ निवासी सुरक्षागार्ड संदीप निषाद की भी अस्पताल में मृत्यु हो गई।