डॉ अजय सेमल्टी
गढ़वाल विश्वविद्यालय
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पहाड़ हूं मैं….
सीने पे खरोचें,
सड़को पे झरने,
बेबसी का,
लाचारी का,
पहाड़ हूं मैं,
मुसीबतों का।
जलते जंगल,
ढहते पुल,
कभी दरकता,
कभी बहता हूं,
पहाड़ हूं मैं,
मुसीबतों का।
ना मंतरी का,
ना संतरी का,
ना कमल का,
ना हाथ का,
पहाड़ हूं मैं,
मुसीबतों का।