डॉ अलका अरोड़ा के कुछ दोहे….. काँटे बोना छोड़ दो, चलो प्रीत की राह
डॉ अलका अरोड़ा
प्रोफेसर, देहरादून
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विधा – दोहा
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काँटे बोना छोड़ दो, चलो प्रीत की राह।
सुख पाओगे विश्व में, मिट जाए हर आह।।
याद सदा उपकार रख, कभी न उसको भूल।
तू पाएगा सुख सदा, शूल बनेंगे फूल।।
निज सुख में इस विश्व का, हर पशु है तल्लीन।
मानव हो तो नित रहो, सबके सुख में लीन।।
सेवा को अपनाइए, सेवा देगी मान।
ये है सच्ची भावना, खूब मिले सम्मान।।
सदा भला करते रहो, मत करना अभिमान।
अगर दर्प तुमने किया, मिटा मान सम्मान।।
क्रोध नाश का मूल है, छीने मन से बोध।
विनय हराती क्रोध को, करे हृदय का शोध।।
साधन सीमित जगत के, इच्छा पारावार।
इसीलिए अवसाद दुःख, आते बारम्बार।।