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डॉ अलका अरोड़ा की एक रचना..तुझसे बिछड़ के बहुत दूर हुऐ जा रहें हैं हम

डॉ अलका अरोड़ा
देहरादून, उत्तराखंड
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आ जा कि दिल उदास है
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तुझसे बिछड़ के बहुत दूर हुऐ जा रहें हैं हम
तेरे नजदीक आने का कोई रास्ता हो तो बता

तेरी आंखों की बेसबब तल्खियों से आहत हूं
मेरी रुह को आगोश में लेने का ख्वाब तो सजा

कब कहा मैंने कि आसमां से चांद ले आओ
जमीं समझ के मेरी मिट्टी से जरा दिल तो लगा

चांद है मगन अपनी चांदनी में, शम्मा परवाने के संग
लरजते होंठो से बस एक दफा मुस्कुरा के बता

कैसे कह दूं कि बदले नहीं तुम पहले जैसे ही हो
सफर जिंदगी का छोड़ दो ही कदम साथ चल के बता

किस्मत का ये फैसला मुझे मंजूर ही नहीं है
जिंदा रहने की कोई और तरकीब हो तो बता।
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..09/12/2020
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