डॉ अलका अरोड़ा की एक रचना..तुझसे बिछड़ के बहुत दूर हुऐ जा रहें हैं हम
डॉ अलका अरोड़ा
देहरादून, उत्तराखंड
————————————-
आ जा कि दिल उदास है
– – – – – – – – – – – – – – – –
तुझसे बिछड़ के बहुत दूर हुऐ जा रहें हैं हम
तेरे नजदीक आने का कोई रास्ता हो तो बता
तेरी आंखों की बेसबब तल्खियों से आहत हूं
मेरी रुह को आगोश में लेने का ख्वाब तो सजा
कब कहा मैंने कि आसमां से चांद ले आओ
जमीं समझ के मेरी मिट्टी से जरा दिल तो लगा
चांद है मगन अपनी चांदनी में, शम्मा परवाने के संग
लरजते होंठो से बस एक दफा मुस्कुरा के बता
कैसे कह दूं कि बदले नहीं तुम पहले जैसे ही हो
सफर जिंदगी का छोड़ दो ही कदम साथ चल के बता
किस्मत का ये फैसला मुझे मंजूर ही नहीं है
जिंदा रहने की कोई और तरकीब हो तो बता।
—————————————————
सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..09/12/2020
नोट: 1. उक्त रचना को कॉपी कर अपनी पुस्तक, पोर्टल, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक, ट्विटर व अन्य किसी माध्यम पर प्रकाशित करना दंडनीय अपराध है।
2. “शब्द रथ” न्यूज पोर्टल का लिंक आप शेयर कर सकते हैं।