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कवि डॉ ब्रम्हानन्द तिवारी “अवधूत” की देशभक्ति की एक रचना… स्वार्थ की खातिर बिक जाते बड़े-बड़े ईमान।

डॉ ब्रम्हानन्द तिवारी “अवधूत”
मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
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स्वार्थ की खातिर बिक जाते बड़े-बड़े ईमान।
तो कैसे हो भारत देश महान।।

अपने देश का मान घटाते,
दुश्मन देश के नित गुण गाते,
भूल गये कर्तव्य ये अपना,
क्या कहता संविधान।
तो कैसे हो भारत देश महान।।

राष्ट्र भक्ति जिस देश को प्यारी,
वहाँ नहीं होती कोई लाचारी,
छोटा देश है इजरायल,
दुनिया करती सम्मान।
तो कैसे हो भारत देश महान।।

वोट बैंक की चिन्ता भारी,
है कुछ लोगों की लाचारी,
धर्म और ईमान बेचना,
है इनकी पहचान।
तो कैसे हो भारत देश महान।।

भारत माँ के लाल कहायें,
राष्ट्र भक्ति दिल से अपनायें,
तो अपना ये भारत होगा,
समर्थ और बलबान।
तो कैसे हो भारत देश महान।।

कहें देश के वीर जवान,
बनेगा फिर भारत बलबान,
स्वार्थ छोड़ देश हित सोचो,
बन जाओ इंसान।
तो कैसे हो भारत देश महान।।

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