श्रद्धांजलि: वीरबाला तीलू रौतेली की पुण्यतिथि पर डॉ राजेश्वर उनियाल की एक रचना
डॉ. राजेश्वर उनियाल
मुंबई, महाराष्ट्र
————————————————————————–
वीरबाला तीलू रौतेली…
बंधुओं आज 15 मई को उत्तराखंड की उस वीरबाला तीलू रौतेली की पुण्यतिथि है, जो 15 वर्ष की आयु में सात वर्षों तक युद्ध कर विजय पाने के बाद वीरगति को प्राप्त हो गई थी। उसी वीरबाला की जीवनी पर आधारित एक गीत आपके समक्ष प्रस्तुत है।
जय जय हो तीलू रौतेली
मेघ गर्जन संग चली, छाए गगन में बदली,
वीरबाला वीरांगना, जय जय हो तीलू रौतेली।
जै जै हो तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…
खड़ग खड़कने लगे, रणभेरी गूंजने लगी,
धूल से धरती भरी, जब अश्व सेना बढ़ चली।
दुश्मन को रौंदती चली, वाहन ये तेरी बिंदुली,
वेलू देवकी सहेली संगनी, लाई है तीलू रौतेली।।
लाई है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…
पर्वत पुष्प बिखेरते, नयार मध्यम हो चली,
जिस डगर से तू चली, पावन वो माटी हो चली।
चांद सी तेरि कांति काया, रौद्र रूप है धर चली,
शत्रुओं का संहार करने, चली है तीलू रौतेली।।
चली है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…
अधरों में है आज तेरे, रक्त पिपासा जग चली,
केश अपने बांधकर, मुंडमाला पहन चली।
ललाट दहकने लगे, अंगार नयनों से जली,
शोलों से सज श्रंगार कर, आई है तीलू रौतेली।।
आई है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली…