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एसजीआरआर विश्वविद्यालय कराएगा गढ़वाली भाषा व संस्कृति की पढ़ाई

देहरादून। गढ़वाली भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल होने के लिए भले ही जद्दोजहद कर रही हो। लेकिन, एसजीआरआर विश्वविद्यालय ने गढ़वाली भाषा में बीए और एमए की पढ़ाई कराने का जिम्मा उठाया है। विश्वविद्यालय में इसी सत्र से गढ़वाली भाषा व संस्कृति विषय की पढ़ाई शुरू हो रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ यूएस रावत ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज का गढ़वाली भाषा व संस्कृति के प्रति गहरा लगाव है। इसी का परिणाम है कि विश्वविद्यालय में यह बीए और एमए कोर्स में शामिल की गई हैं। विश्वविद्यालय गढ़वाली भाषा व संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्युमैनिटीज एंड सोशियल साइंसेज की डीन डॉ गीता रावत का कहना है कि उन्हें गढ़वाली भाषा पढ़ने वालों के रोज फोन आ रहे हैं। कई लोग ई-मेल पर सुझाव भी दे रहे हैं। उन्होंने फोन नंबर 9368771835, 8077408608 पर व्हाट्सअप के माध्यम से प्रदेशवासियों से सुझाव भी मांगे हैं।

इस वर्ष से यह विषय भी पढ़ाएगा विवि

विवि में इसी वर्ष से होम साइंस, संगीत, ड्राइंग व पेंटिंग विषयों को भी बीए और एमए में शामिल किया गया है। अर्थशास्त्र में एमए भी इस सत्र से शुरू किया गया है। उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति व परिस्थितियों को देखते हुए विश्वविद्यालय इस सत्र से आपदा प्रबन्धन, डिजास्टर मैनेजमेंट पर भी विशेष कोर्स शुरू करने जा रहा है। साथ ही ओटी टेक्नीशियन, स्पा, इलेक्ट्रीशियन, प्लम्बर, कारपेंटर व कम्प्यूटर से जुड़े विशेष रोजगार परक सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि मनोविज्ञान व डिफेंस स्टडीज सहित 14 से अधिक विषय पहले से ही पढ़ाए जा रहे हैं। अब योग एवं मॉस कम्युनिकेशन के साथ ही बीए व एमए स्तर पर नए कोर्स जुड़ने से करीब 20 विषयों की पढ़ाई होगी।

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