प्रमोशन व ट्रांसफर पर यूटर्न: शिक्षा विभाग में राजनीति हावी या विभाग ही अपंग
देहरादून। नौनिहालों के भविष्य संवारने का जिम्मा संभालने वाले शिक्षा विभाग को खुद इतना पता नहीं होता कि उसे करना क्या है या कि उसे इतना अपंग बना दिया गया है कि वह खुद किसी निर्णय लेने में सक्षम ही नहीं रह गया है। हालिया दो मामलों से यह उजागर भी हो जाता है। पहला है काउंसलिंग के माध्यम से प्रमोशन और दूसरा गेस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त दिखाने का मामला। दोनों मामलों में विभाग को यूटर्न लेना पड़ा है।
एलटी शिक्षकों के लिए दोहरी खुशी की बात है। पहली प्रमोशन प्रक्रिया काउंसलिंग के माध्यम से होना और दूसरा प्रवक्ता पद पर तैनात गेस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त दिखाना यानी जिन पदों पर गेस्ट टीचर्स तैनात हैं, उन पर भी प्रमोशन होगा। उसके बाद गेस्ट टीचर्स को समायोजित किया जाएगा। राजकीय शिक्षक संघ की सशक्त पैरवी से यह दोनों लाभ शिक्षकों को हुए हैं।
क्या शिक्षा विभाग में अधिकारी नहीं कर पाते फैसले
सवाल यह उठता है कि विभाग ने खुद पहले काउंसलिंग के माध्यम से प्रमोशन प्रकिया की बात कही थी फिर क्यों बिना काउंसलिंग के प्रमोशन करने के आदेश कर शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशानी में डाला गया। अब फिर काउंसलिंग के माध्यम से प्रमोशन कराने को राजी हो गया है। पहले गेस्ट टीचर्स के पद पहले रिक्त नहीं रखे गए, जब विरोध हुआ तो अब पद रिक्त रखना स्वीकार कर लिया। आखिर शिक्षा विभाग के अधिकारी फैसले क्यों नहीं ले पाते???
काउंसलिंग से होंगे प्रमोशन व ट्रांसफर
शिक्षकों के प्रमोशन के साथ ट्रांसफर भी काउंसिलिंग के माध्यम से होंगे। इस संबंध में राजकीय शिक्षक संघ से वार्ता के बाद सहमति बनी है। संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ सोहन सिंह माजिला का कहना है कि संघ की मांग थी कि प्रमोशन व ट्रांसफर काउंसलिंग के माध्यम से हो। गेस्ट टीचर्स के पद को रिक्त माना जाय ताकि उन पदों पर भी प्रमोशन का लाभ मिल सके। इन सभी मांगों पर सहमति बन गई है। कुछ अन्य प्रकरणों पर भी शिक्षा मंत्री से वार्ता की जानी है।