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सामाजिक बिंदुओं पर हों शोध, दून विश्वविद्यालय में कार्यशाला सम्पन्न

देहरादून। दून विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट की ओर से आयोजित शोध प्राविधि कार्यशाला सम्पन्न हो गई। वक्ताओं ने कहा कि शोध सामाजिक विषयों पर होने चाहिए। शोध की जानकारी समाज तक जानी चाहिए ताकि शोध का लाभ समाज को मिल सके।
विभागाध्यक्ष प्रो एचसी पुरोहित ने समापन सत्र में विश्वविद्यालय की पहली ऑनलाइन वर्कशॉप के बारे में कहा कि यह बहुत संगठित ढंग से आयोजित की जाएंगी। इस तरह की कार्यशालाओं से शोधार्थियों को विश्व के किसी भी कोने में उपस्थित शोध विशेषज्ञों से ज्ञान अर्जित करने का मौका मिलता है। यूपीईएस के कुलपति प्रो सुनील राय ने हाल के समय में एप्लाइड रिसर्च पर जोर दिए जाने की वकालत की। कहा कि वर्तमान में विश्व भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है, क्योंकि भारत वैक्सीन बनाने वाला पहला देश हो सकता है। प्रो राय ने कहा कि शोधकर्ताओं की समस्याओं का आर्थिक रूप से संभव समाधान खोजने की जरूरत है, इसके लिए परिस्तिथि को समझना बेहद जरुरी है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो एचके सिंह ने बताया कि भारत के बहुत कम शोध अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्य हैं। शोध के लिए स्पष्ट उद्देश्य होना महत्वपूर्ण है। प्रो सिंह ने विश्वविद्यालयों को स्पेशल एजुकेशनल जोन (एसईजेड) में बदलने की बात पर जोर दिया। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय के पूर्व डीन (अकादमिक मामले) प्रो रविंद्र विनायक ने कहा कि शोध संपूर्ण समाज को ध्यान में रखकर होना चाहिए। शोधार्थी को तथ्यों और तर्क के बल पर शोध करना चाहिए। दून विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रो कर्नाटक ने अध्यक्षीय संबोधन में में कहा कि मनुष्य और समाज शोध के केंद्र बिंदु होने चाहिए। कार्यशाला समन्वयक डॉ सुधांशु जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ प्राची, डॉ रीना, शोधार्थी श्रद्धा, ऐश्वर्या, श्रेया, अंशुल आदि मौजूद रहे।

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