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शिक्षा विभाग ने किया भेदभाव, एससी प्रवक्ताओं को नहीं दी मौलिक नियुक्ति, सामान्य को दे दी

-अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड ने शिक्षा विभाग में दर्ज करवाई शिकायत। विभागीय शिकायत निवारण समिति से आग्रह किया है कि वर्ष 2001 से 2007 के बीच तदर्थ प्रवक्ता (एससी वर्ग) की सूची तैयार कर उन्हें दिया जाय

देहरादून। इंटर के प्रवक्ताओं को मौलिक नियुक्ति देने के मामले में अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड ने शिक्षा विभाग पर भेदभाव का आरोप लगाया है। संगठन का आरोप है कि विभाग ने सामान्य वर्ग के तदर्थ प्रवक्ताओं को मौलिक नियुक्ति दी। लेकिन, एससी (आरक्षित) वर्ग के तदर्थ प्रवक्ताओं को मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई। संगठन ने विभाग में इसकी बाकायदा शिकायत दर्ज करवाई है। साथ ही भेदभाव खत्म कर एससी प्रवक्ताओं को भी मौलिक नियुक्ति देने की मांग की है।

अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोइया ने कहा कि विभाग ने सामान्य वर्ग के प्रवक्ताओं को 2001 से 2006 के बीच मौलिक नियुक्ति प्रदान कर दी गई थी। लेकिन, एससी वर्ग के प्रवक्ताओं को आज तक मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई। विगत वर्षों में भी व्यक्तिगत रूप से एससी वर्ग के तदर्थ प्रवक्ताओं ने कई बार निदेशालय में शिकायत दर्ज कराई है कि उन्हें यथा समय सामान्य वर्ग के साथ मौलिक नियुक्ति नहीं दी गई है। कई बार मांग की गई कि चयन/प्रोन्नति वेतनमान का लाभ एससी वर्ग को भी दिया जाए ताकि आर्थिक नुकसान न हो। लेकिन, उस पर भी विभाग ने संज्ञान नहीं लिया था।

अब केंद्र सरकार के निर्देश पर उत्तराखंड में भी आंतरिक विभागीय शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया है। एसोसिएशन की ओर से प्रांतीय अध्यक्ष संजय भाटिया ने शिकायत निवारण समिति से आग्रह किया गया है कि प्रभावित प्रवक्ताओं को न्याय दिलवाया जाय। उन्होंने समिति से आग्रह किया है कि वर्ष 2001 से 2007 के बीच तदर्थ प्रवक्ता (एससी वर्ग) की सूची तैयार कर उन्हें न्याय दिया जाय।

शिक्षा निदेशक को बनाया समिति का अध्यक्ष

शिक्षा निदेशक को विभागीय शिकायत निवारण समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, इसके साथ समिति में चार अन्य सदस्य भी नियुक्त किए गए हैं। शिकायत अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों को भी प्रेषित की गई है।

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