बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
स्वतन्त्रता दिवस पर ….. एक गीत
आभा सक्सेना दूनवी, देहरादून
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बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
ए वतन मेरे वतन तुझको नमन
बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
कितनी भी दुश्मन करे ना पाक़ कोशिश
पूर्ण न होगी कभी उसकी ये साज़िश
लाख कर ले जितना जी चाहे जतन
ए वतन मेरे वतन तुझको नमन
बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
ये तिरंगा शान है अभिमान मेरा
ये सदा ऊंचा रहे अरमान मेरा
गर्व से मुसका रहा देखो गगन
ए वतन मेरे वतन तुझको नमन
बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
जान न्योछावर हैं करते वीर सैनिक
जैसे वे हैं देश के अनमोल माणिक
सैनिकों से खिल रहा मेरा चमन
ए वतन मेरे वतन तुझको नमन
बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
आ गए हैं देश में राफेल कितने
मार पाएंगे अरि जी चाहे जितने
दुश्मनों का होगा अब रावण दहन
ए वतन मेरे वतन तुझको नमन
बांध कर हम सर पे निकले हैं कफ़न
आभा सक्सेना दूनवी
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आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं…. जय हिन्द जय भारत
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..15/08/2020
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