उत्तराखंड : प्रति एक हजार बेटों पर जन्म ले रहीं 984 बेटियां
नैनीताल, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी व ऊधमसिंह नगर जिले में बेटों की तुलना में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या अधिक है। जबकि, देहरादून, टिहरी, चंपावत जिले लिंगानुपात में अन्य जिलों से पीछे हैं।
राज्य में प्रति एक हजार बेटों के सापेक्ष 984 बेटियां जन्म ले रहीं है। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने व गर्भधारण पूर्व और प्रसूति पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिशोध) अधिनियम को सख्ती से लागू करने से उत्तराखंड ने बाल लिंगानुपात में सुधार किया है।
राज्य के नैनीताल, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी व ऊधमसिंह नगर जिले में बेटों की तुलना में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या अधिक है।जबकि, देहरादून, टिहरी, चंपावत जिले लिंगानुपात में अन्य जिलों से पीछे हैं। सरकार की ओर से जागरूकता अभियान के चलते राज्य में बाल लिंगानुपात में सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) 2015-16 की रिपोर्ट में उत्तराखंड में शून्य से पांच आयु वर्ग तक के बच्चों का लिंगानुपात प्रति एक हजार पर 888 था। जबकि, 2020-21 के सर्वे रिपोर्ट में बाल लिंगानुपात 984 हो गया है। अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी व ऊधमसिंह नगर में प्रति एक हजार बालकों की तुलना में अधिक बालिकाओं का जन्म हुआ है।
चंपावत में बेटियों की संख्या कम
अल्मोड़ा में जहां 1,444 बालिकाओं का जन्म हुआ, जबकि चमोली में 1,026, नैनीताल में 1,136, पौड़ी में 1,065 व ऊधमसिंह नगर में 1,022 बालिकाओं का जन्म हुआ। लेकिन, देहरादून, टिहरी व चंपावत में बालकों की तुलना में बेटियों की संख्या कम है।
सजा का प्रावधान
भ्रूण जांच में किसी भी पंजीकरण चिकित्सक या प्रसूति विशेषज्ञ के पहली बार दोषी पाने पर तीन वर्ष तक की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है, जबकि दूसरी बार दोषी पाए जाने पर पांच वर्ष की कैद व 50 हजार रुपये जुर्माने के साथ चिकित्सक का पंजीकरण पांच वर्ष के लिए समाप्त किया जा सकता है। तीसरी बार में चिकित्सक का पंजीकरण हमेशा के लिए रद्द कर दिया जाएगा। इसके अलावा पांच साल की कैद और एक लाख जुर्माने का प्रावधान है।