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तो क्या हरक सिंह रावत का सियासी करियर खत्म?, पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे हरक

-कांग्रेस में शामिल होने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि हरक सिंह रावत चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव लडेंगे। हरक ने खुद भी कहा कि पार्टी यदि चुनाव लड़ने के लिए कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, नहीं बनी बात

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। उत्तराखंड के चर्चित नेता हरक सिंह रावत राज्य बनने के 20 साल के चुनावी इतिहास में पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि हरक सिंह रावत चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव लडेंगे। हरक ने खुद भी कहा कि पार्टी यदि चुनाव लड़ने के लिए कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, पार्टी में उनकी बात नहीं बन पाई। उत्तराखंड विधानसभा के इस चुनावी समर से हरक सिंह बाहर हैं। शायद, भाजपा से लड़ा गया चुनाव ही हरक का आखिरी चुनाव साबित हो। हालांकि, उनकी बहू चुनावी मैदान में है।

भाजपा से निष्कासित होने से पहले ही हरक लगातार बयानबाजी कर रहे थे कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते। भाजपा ने जब उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया तो वजह बताई गई कि हरक सिंह अपने लिए, अपनी पुत्र वधू के लिए और एक अन्य टिकट मांग रहे थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद हरक सिंह की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से टिकट मिल गया। लेकिन, हरक को कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं बनाया।

कांग्रेस ने गुरुवार को सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। शुक्रवार को नामांकन का आखिरी दिन है। तीन दशक की चुनावी सियासत में पहली बार हरक सिंह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद अब तक हुए सभी विधानसभा चुनावी मैदान में रहे और जीतकर विधानसभा पहुंचे।

राज्य बनने के बाद 3 जगह से जीते

उन्होंने 2002 में लैंसडौन सीट पर चुनाव जीता था। 2007 में फिर वह लैंसडौन से जीते। 2012 में उन्होंने रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ा और जीता। 2017 में वह कोटद्वार से चुनाव जीते।

चार जगह से थी तमन्ना, नहीं हुई पूरी

2022 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह की डोईवाला, केदारनाथ, यमकेश्वर या लैंसडौन विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने चर्चाएं रही। हरक खुद बयान दे रहे थे कि वह इन चारों सीटों में से कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन, भाजपा से बे आबरू होकर निकले हरक सिंह के लिए यह संभव नहीं हो पाया।

हरक सिंह रावत के सियासी करियर पर लगा ब्रेक?

भाजपा से विदाई के बाद कांग्रेस में शामिल होने पर उनके चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हुई। चर्चा उनके डोईवाला से चुनाव लड़ने को लेकर भी थी। लेकिन, गुरुवार को कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी और इसके साथ ही हरक सिंह के चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी खत्म हो गईं। शायद अब हरक का सियासी करियर पर ब्रेक लग चुका है और भाजपा से लड़ा गया गत चुनाव ही उनका आखिर चुनाव साबित हो।

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