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हरीश कंडवाल मनखी की कलम से… दो दिन तो बिताओ मेरे ससुराल में…

विकास नहा कर बाथरूम से बाहर निकला देखा तो फोन पर दो मिस कॉल आई थी, उसने चेक किया तो एक उसकी पत्नी की थी और और एक उसकी सासू जी की थी। विकास ने पहले सासू माँ को फोन किया, सासू जी ने कहा कि कल तुम्हारी दादी सास का श्राद्ध है, आप सब लोग आ जाना।  विकास ने कहा कि अभी देखता हूँ, फिर आपको बताता हूँ। सासू से बात करते वक्त दो बार विकास की पत्नी का फोन वेटिंग पर था। विकास ने अपनी पत्नी चंदा को फोन किया। चंदा ने कहा कि मम्मी का फोन आया था कि कल परसो दादी का श्राद्ध है दोनों आ जाना, वैसे भी परसो शनिवार है, अगले दिन रविवार। एक दिन की छुट्टी में आना-जाना हो जाएगा। विकास ने भी सोचा की चलो दो दिन घूमना भी हो जायेगा, बाकी वर्क फ्रॉम होम भी हो जाएगा।

विकास  ने अपने वरिष्ठ को अपनी योजना बताई और घर जाने के लिये निकल गया, उसने चंदा को फोन करके तैयार रहने को कह दिया। घर जाते वक्त उसने ससुराल जाने वाली आखिर नंबर की गाड़ी के ड्राइवर को फोन किया कि दो सीट हमारे लिए रखना। घर जाकर जल्दी से कपड़े बदले, बैग रखा, ऑटो करके पत्नी बंच्चे को लेकर चल पड़ा चंद्रभागा जीप अड्डे तक।

उधर, गाड़ी का ड्राइवर मंगतू बार-बार फोन कर रहा था, की जल्दी आओ, सवारी परेशान कर रही हैं। जैसे-तैसे करके विकास पत्नी-बच्चे को लेकर जीप अड्डे पर पहुँचा तो गाड़ी खचाखच भरी हुई थी, जिससे उनको पीछे की सीट ही मिली। इतने में चंदा ने कहा कि मैंने तुमको कह दिया था कि मंगतू भैजी को बोलना की बीच वाली या आगे की सीट रखना। मुझे पीछे चक्कर आते हैं, और उल्टी होती हैं, तुमने बताया क्यो नहीं। विकास ने कहा कि जल्दी बाजी में भूल गया, कोई नही पीछे की सीट में ही बैठ लेते हैं, इतने में मंगतू ने कहा कि कोशिश करता हूँ। आगे अपनी बगल वाली सीट में दंपत्ति बैठे हुए है, उन भाई साहब अनुरोध करता हूँ। जैसे ही चंदा आगे की सीट की तरफ गई, तब तक आगे बैठे व्यक्ति ने चंदा  को पहचान लिया। वह व्यक्ति चंदा के ताऊजी का बेटा गिरीश था जो मेरठ में रहता था। गाँव यदा-कदा ही आता था। गिरीश ने चंदा को आगे बैठने को कह दिया। अपनी पत्नी मधु से जान पहचान करवाई। इतने में इधर विकास भी मिठाई और फल लेकर आ गया। विकास का परिचय चंदा ने सबसे करवाया, फिर बाते करते हुए सब गाँव पहुँच गए।  गिरीश की पत्नी एक यूट्यूबर और सोशल साइट्स पर चर्चित है, अपने वीडियो और घूमने के शौक के चलते उसके लाखों फ़ॉलोअर है।

मधु ने त्रिवेणी घाट पर सुंदर सी फोटो शूट की हुई थी, उन्हें  इंस्ट्राग्राम और अन्य सोसल साईट पर अपलोड करने लगी। यह टूर मधु के लिये बहुत ही खास होने वाला था। वह सोचकर आई थीं कि इस बार गाँव की अलग-अलग वीडियो पोस्ट करेगी। ऋषिकेश से गाड़ी टिहरी के दोगी पट्टी के लिए रवाना हो गयी, गंगा नदी और घुमावदार सड़के मधु को आकर्षित कर रही थी, उसका मन था की गाड़ी रुकवाकर इन वादियों को खुली आँखों से देखू। लेकिन, समय और अपनी गाड़ी न होने का मलाल हो रहा था। मंगतू ने गुलर बाज़ार में चाय की  कान के सामने गाड़ी रोकी और टखेरी में बैठकर बीडी जला दी। इधर, विकास ने दुकानदार को चार चाय बनाने को कह दिया। थोड़ी देर बाद गाड़ी ठाठ की चढाई चड़ने लगी तो मधु को नीचे देखकर चक्कर आने लगे और उसने आँख बंद करके सिर नीचे कर लिया और वह सो गयी।

कच्ची-पक्की सड़को पर हिचकोले खाते हुए गाड़ी चलते चलते दोगी पट्टी में हिंडोला में पहुँच गयी। सभी गाड़ी से उतरे और हिंडोला देवता के द्वार पर दर्शन कर कुछ देर वंहा पर बैठकर थकान मिटायी और फिर सब खड़े होकर गाँव की और हरे भरे पहाड़ो को देखकर मन मस्तिष्क तरोताज़ा हो गया। उसके बाद सब पैदल नीचे उतरते हुए हँसते-खेलते अपने घर आ गए। ईधर, सबने चाय पी और मधु ने सोशल मीडिया इंस्ट्राग्राम फेसबुक पर अपनी पोस्ट डालने की कोशिश की। लेकिन, नेट नही चल पा रहा था, सोचा अभी नही चल रहा होगा, थोड़ी देर में व्हाट्सएप पर अपनी सखियों को कॉल करके पहाड़ दिखाना चाहती थी। लेकिन, नेटवर्क के कारण वह भी नही दिखा पायी।

विकास ने आँगन में बैठकर अपना वेबपोर्टल के लिये खबर बनाई। लेकिन, खबर प्रकाशित नही हो पाई। काफी देर तक प्रयास करता रहा। लेकिन, सफलता नही मिल पाई। इधर चंदा भी परेशान थी क्योकि आज व्हाट्सएप सोशल मीडिया में कुछ नही देखने को मिला। गिरीश आज खुश था क्योकि उसे नेटवर्क न होने का बहाना मिल गया था। ऑनलाइन काम करके वह परेशान हो चुका था, आज ज्यादा फोन भी नही आ रहे थे, वह गाँव घूमने चला गया।

अगले दिन मधु चंदा, विकास, गिरीश सब बैठे थे। सामने पहाड़ी ककड़ी लगी हुई थी, वह गिरीश के दादा के श्राद्ध के लिये बचाकर रखी थी। इतने में एक बड़ा बंदर आया, मधु बंदर का वीडियो बनाने लग गई, बंदर उसे वीडियो बनाते देख झपटने आ गया, इतने में मधु की सास ने बंदर की तरफ पत्थर फेंका भगा दिया। लेकिन, बंदर जाते-जाते ककड़ी साथ मे ले गया। मधु की सांस अटक गई थी, वह तो अच्छा हुआ बंदर फोन छीनकर नही भागा।

कुछ देर बाद सबने चंदा के घर पर श्राद्ध का भोजन ग्रहण किया। इतने में विकास के ऑफिस से फोन आ गया कि एक सनसनीखेज खबर भेजी है, उसे जल्दी बनाकर उसको भेजो,  बहुत जरूरी खबर है। विकास ने ट्राय किया तो व्हाट्सएप गोल-गोल घूम रहा थ।, इस सर्कल ने तो विकास औऱ मधु की जिंदगी गोल-गोल कर दो। इधर, मधु परेशान, उसके यूट्यूब पर आज वीडियो नहीं आने से फॉलोवर कम हो जायेगे, फोन पर नेटवर्क खोजने के लिये कभी आँगन कभी छत, कभी किसी कोने पर चक्कर काटने पर लगी रही। लेकिन, हासिल जीरो बटे शून्य।

चंदा और गिरीश जानते थे कि यँहा समस्या है, उनका घर है, उनको अपने घर गाँव से लगाव था तो उसकी बुराई न तो करना पसंद था न सुनना। वह तारीफ ही कर रहे थे, उधर मधु औऱ विकास दोनों का ससुराल है वह समस्याओं को ही बता रहे थे। मधु ने कहा यार मैं गाँव यही सोचकर आई थी कि अच्छे-अच्छे वीडियो औऱ सेल्फी लेकर पोस्ट करूंगी। लेकिन, नेटवर्क ने यँहा सब खत्म कर दिया। इधर कुछ बच्चे स्कूल से आ रहे थे, मधु ने उनसे पूछ लिया कि उनका स्कूल किधर है। बच्चो ने कहा कि यँहा से 5 किलोमीटर दूर है। यह सुनकर मधु अचंबित रह गई, खैर उसके लिये अचंबित होने वाली बात भी थी, वह मेरठ शहर में पली-पढ़ी थी, पहली बार गाँव आयी थी।

गाँव मे सब घरों में लगभग वयोवृद्ध लोग ही थे कुछ घरों में ताले लटके हुए थे। पलायन की वजह से गाँव मे रौनक कम थी, इस सब का वीडियो बन रही थी। विकास को गाँव के एक लड़के ने बताया कि सामने जो सलणाधार है, वँहा नेटवर्क अच्छे आते हैं। यह सुनकर मधु और विकास खुश हो गए। बच्चे ने बताया कि वह ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिये वंही जाते थे। मधु ने सोचा कि ज्यादा दूर नही होगा, वह भी चलने को तैयार हो गई।

विकास लैपटॉप लेकर सलणाधार की तरफ चल पड़ा। उबड़-खाबड़ रास्ते चलते-चलते दो किलोमीटर ऊपर चढ़ गये। मधु दो बार तो गिरते-गिरते बची, बहुत हांफ रही थी। लेकिन, सेल्फी का उत्साह खत्म नही हुवा। विकास को बार-बार फोन आ रहा है। लेकिन, नेटवर्क न होने से आवाज कट रही है। जैसे ही सलणाधार पहुँचे फोन पर दो डंडी दिख गयी। मधु के तो मानो जैसे प्राण आ गए हो, यह उसके लिये वास्कोडिगामा की भारत की खोज करने के समान थी। इधर, विकास  के व्हाट्सएप पर मैसेज आने शुरू हो गए। खबर बस दुर्घटनाग्रस्त होने की थी। तब तक दूसरी खबर आ गयी कि घायलों को एम्स ऋषिकेश भेज दिया है। उधर, अभी तक विकास की खबर गोल-गोल घूम रही थी।

मधु ने सेल्फी ली। अलग-अलग पोज में सलणाधार को दिखाया। इतने में वह एक पत्थर के ऊपर खड़ी होकर सेल्फी ले रही थी, पत्थर लुढ़क गया वह नीचे की तरफ गिरती तब तक विकास ने उसको पकड़ लिया। अब उसने सेल्फी लेना बंद किया और घर वापस आने लगी। उसका मूड खराब था, ससुराल आने का  सारा प्लान फेल हो गया। लेकिन, फिर सोचा कि चलो एक-दो दिन के लिये मसाला मिल गया है।

घर आकर सबके साथ बात करती रही। बड़े बुजुर्गों की खैरी सुनती रही। ऐसा नहीं था कि उसे गाँव मे मजा नही आ रहा था। आँगन में बच्चे खेल रहे थे, पास में गाय की बछड़ी पूँछ उठाकर कूद रही थी जो की बहुत ही मनमोहक दृश्य था। वह इस दृश्य को लाइव दिखाना चाह रही थी। लेकिन, नेटवर्क के कारण काम नही हो रहे थे। आज का समय नेटवर्क प्राणवायु है, इसके अभाव में जिंदगी खतरे में जैसे लगती है। नेटवर्क न हो तो यह फोन सिर्फ एक डिब्बा बनकर रह जाता है। वह ऐसा विचार करने लगी। लेकिन, अचानक उसे ध्यान आया, लाइव न सही वीडियो ही बना देती हूँ।

इधर, विकास को भी लगा कि यदि वह दो दिन यंही रह गया तो उसका सारा काम ठप हो जायेगा। अतः उसने भी जाने का फैसला ले लिया। चंदा ने कहा कि वह दो-चार दिन यंही रुकेगी और तब आएगी। लेकिन, मधु ने गिरीश को वापस जाने के लिये दबाव बनाना शुरू कर दिया। उसने गिरीश को कहा कि यदि इन गाँवो में मूलभूत सुविधाये हो जाती तो वह भी कुछ दिन औऱ रुक जाती। लेकिन, बिना नेटवर्क के उसका यूटुयब का काम रुक जाएगा क्योकि उसकी कमाई का जरिया वह ही है। पहाड़ पर्यटन का हब है। लेकिन, इसको मजबूत करने के लिये बेसिक आवश्यकता पूरी करनी होगी। विकास औऱ मधु ने सलाणधार की सुंदर फ़ोटो सोशल मीडिया में डालकर लिखा कि “दो दिन तो गुजारो मेरे ससुराल में”।

©©@ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।

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