उत्तराखंड में तीन राजनीतिक दलों में बंट रही खनन की उगाही
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने फेसबुक पर लिखा है कि चंडीगढ़ में हूं, आज सुबह बहुत जल्दी आंख खुल गई थी। मन में बहुत सारे अच्छे और आशंकित करने वाले दोनों भाव हैं। कभी अपने साथ लोगों के द्वेष को देख कर मन करता है कि सब किस बात के लिए और फिर मैं तो राजनीति में वह सब कुछ प्राप्त कर चुका हूं, जिस लायक मैं था। फिर भी मेरे मन में एक भाव आ रहा है कि सभी लड़ाइयां चाहे, वह राजनीतिक क्यों न हो, वो स्वयं सिद्धि के लिए नहीं होती हैं। हरीश रावत ने कहा है कि मैं जानता हूं कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल मेरे ऊपर कई प्रकार के अत्याचार ढाने की कोशिश करेगा, जिसकी तैयारियां हो रही हैं। इसका मुझे आभास है। लेकिन, जैसे-जैसे ऐसा आभास बढ़ता जा रहा है, मेरीचुनाव में लड़ने की संकल्प शक्ति भी बढ़ती जा रही है।
रावत ने कहा कि एक नहीं बल्कि कई निहित स्वार्थ जो अलग-अलग स्थानों पर विद्यमान हैं, मेरी राह को रोकने के लिए एकजुट हो रहे हैं। कहीं-कहीं 2022 नहीं तो 2027 की सुगबुगाहट भी हवाओं में है, मगर चंडीगढ़ का यह एकांत मुझे प्रेरित कर रहा है कि जितनी शक्ति बाकी बची है, उससे उत्तराखंड और उत्तराखंडियत की रक्षा, पार्टी की मजबूती के लिए, मैं अपने व्यक्तिगत कष्ट मान-अपमान और यातनाओं को झेलने के लिए तैयार हूं।