हरियाणा गौरव सुनील शर्मा की एक रचना… जीवन मरण की आस रही ना ना जीने का ढंग रे
हरियाणा गौरव सुनील शर्मा
गुरुग्राम हरियाणा
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महामारी का तांडव 2021
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जीवन मरण की आस रही ना ना जीने का ढंग रे
महामारी से आज योर मानस हो गया कैसा तंग रे।
कब छटेगा कोहरा धुन्ध का कब होगा प्रकाश यहां
मानस की ना पार बसाई कोन्या दिखी आश यहां
लेकर उड़ गया हंस ने कौवा ना दिखा कोई रंग रे
जीवन मरण की आस रही ना ना जीने का ढंग रहे।
तेरा जाइयो विष यर नाश देश में कैसा उधम मचाया है
नर खावे दर दर की ठोकर नहीं पार कहीं पाया है
कैसे बचा वे हम जिंदगानी यो जीवन हो गया भंग रे
जीवन मरण की आस रही ना ना जीने का ढंग रे।
पशु पक्षी पर जोर चलाना मानस ने के पाप करा
करणी किसे की भरनी किसे की ना कोई संताप हरा
घर से बाहर मत ना निकलिए मौत कदम कदम पर संग रै
जीवन मरण की आस रही ना ना जीवन का ढंग रे।
जिंदगानी का मोल रहा ना अब कोन्या पार बसाई
अब तो चक्र थाम ले गिरधर क्यों बन बैठा हरजाई
दबंग तेरी तो कलम टूट गी यो महा भारत का जंग रे
जीवन मरण की आस रही ना ना जीने का ढंग रे
महामारी से आज यो मानस हो गया कैसा तंग रे।।