हे भारत भू के लौह पुरुष, स्वीकार करो मेरा वंदन..
जसवीर सिंह हल धर
कवि/शाइर/गीतकार
देहरादून, उत्तराखंड
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भारत रत्न सरदार पटेल
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हे भारत भू के लौह पुरुष, स्वीकार करो मेरा वंदन।
क्यों इतनी जल्दी चले गए, जन गण के मन में है कृन्दन।।
तुम भारत भू के गौरव हो, तुम नए राष्ट्र के सूत्रधार,
दोबारा भारत में आओ, करते विनती हम बार बार।
तुम राजनीति के धर्मवीर, तुम से ही सारे कीर्तमान,
तुम कूटनीति के राजवीर, तुम ही शंका के समाधान।
निरपेक्ष भाव से काम किया, सब तोड़े सम्प्रदाय बंधन।
हे भारत भू के लौह पुरुष स्वीकार करो मेरा वंदन।।1
तुम लोक तंत्र की थे मिसाल, बांटा प्रकाश अंधेरे में,
तुम आजादी की थे मशाल, ना रुकी कभी जो घेरे में।
भारत का एकीकरण किया, दुनियाँ में मान बढ़ाया था,
निर्वाह किया था राज धर्म, जन जन विश्वास जगाया था।
सब राजे और नवाबों का, कर दिया देश हित प्रबंधन।
हे भारत भू के लोह पुरुष स्वीकार करो मेरा वंदन।।2
तुम स्वयं त्याग की मूरत थे, तुम दीपक हठी जवानी के,
तुम बापू के अनुयायी थे, तुम रूपक थे कुर्बानी के।
तुम भारत भू के कर्णधार, तुम समता के सौदागर थे,
तुम विधिक ज्ञान में पारंगत, तुम वाणी के जादूगर थे।
उन्मूलन किया नबाबों का, कर दिया आपने संशोधन
हे भारत भू के लोह पुरुष, स्वीकार करो मेरा वंदन।।3
बारदोली आंदोलन से तुम, बन गए किसानों के नेता,
सरदार उपाधि मिली तभी, सबकी नजरों में अभिनेता।
सरदार तरीका सिखा गए, संयम से देश चलाने का,
जो टेडी चाल चले कोई, उसको रस्ते पर लाने का।
हलधर की कविता है टीका, बल्लभ के माथे का चंदन।
हे भारत भू के लौह पुरुष, स्वीकार करो मेरा वंदन।।4
लौह पुरुष की जयंती व लौह
महिला की पुण्यतिथि पर छंद
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छोटे-छोटे राज्य जोड़, भारत किया बेजोड़,
सरदार नेतृत्व इस देश में विशेष है।
पाक को पछाड़ दिया, चीर के दो फाड़ किया,
इंदिरा का नारीत्व इस देश में विशेष है।।
राष्ट्र के निर्माण हेतु, दोनों ही रहे है सेतु,
दोनों का कृतित्व इस देश में विशेष है।
लौह नर की जयंती, लौह नारी पुण्य तिथि,
दोनों का व्यतित्व इस देश में विशेष है।।