विश्व संवाद केंद्र के होली मिलन में कवियों और होल्यारों ने जमाया रंग
विश्व संवाद केन्द्र की ओर से आयोजित होली मिलन कार्यक्रम में दिखा लेखक, साहित्यकार, पत्रकार व मातृशक्ति का समागम। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डा. शैलेंद्र।
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। विश्व संवाद केंद्र ने शनिवार को राजपुर रोड स्थित नारायण मुनि भवन में होली मिलन समारोह आयोजित किया। समारोह में गीत कविताओं की बयार के साथ ही कुमाऊंनी खड़ी होली की धूम रही। कार्यक्रम में लेखक, साहित्यकार, पत्रकार व मातृशक्ति का समागम दिखा। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डा. शैलेंद्र ने शिरकत की।
प्रांत प्रचारक ने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब सनातन त्योहारों को लेकर बहुत नक़रात्मक कहा जाता था। हिन्दू और हिन्दुत्व पर भी सवाल उठाए जाते थे। लेकिन, आज पूरी दुनिया जानती है कि भारत के प्रत्येक उत्सव के पीछे एक ही भाव छिपा है, वह है बुराई से अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय।
उन्होंने कहा कि भारत उत्सव का देश है। यहां हर रोज कोई न कोई उत्सव होता है। अनेक महापुरुषों से जुड़ी कोई न कोई तिथि भी है, जिस दिन उन महापुरुषों का जन्म हुआ है। होली पर्व पर प्रकृति भी उल्लास मना रही होती है, होली का त्योहार भी ऐसा ही पर्व है। होली मिलन समारोह का रंगा-बिरंगा बैनर भी उसी प्रकार से है। उन्होंने कहा कि प्रकृति में भी परिवर्तन की बयार बह रही है। वैसे हिन्दू नववर्ष पर तो आर्थिक व्यवहार सुधरने के साथ अच्छे काम प्रारंभ हो जाते हैं। ऐसे में होली किसानों के लिए भी खास है। उन्होंने मथुरा वृंदावन और बुंदेलखंड का जिक्र करते हुए कहा कि वृंदावन में एकादशी और पूर्णिमा के दिन तो पैर रखने तक की जगह नहीं होती।
जौनसार में दीपावली से एक महीने बाद मनती है दीपावली, जानें क्यों?
इस बार सत्र में तो दो बार दीपावली मनाने का अवसर मिला। एक दीपावली के दिन और एक 22 जनवरी को, लेकिन यहीं पास में ही जौनसार में लोग दीपावली से एक महीने बाद दीपावली मनाते हैं। वो कहते हैं कि हम लोग जनजाति के हैं, हमारे यहां सूचना देर से पहुंची। इस पर उन्होंने कहा कि अब तो सूचना सही हो गई, लेकिन वास्तविक कारण है कि उस समय अदरक, मटर और ऐसे अनेक खेती के सीजन के कारण से समय ही नहीं रहता, मंडी में बेचकर पैसा आता है तो फिर उत्साह से त्योहार मनाते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं इसके पीछे भी भाव है।
कार्यक्रम का संचालन प्रांत मीडिया संवाद प्रमुख बलदेव पाराशर ने किया। इस दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रचारक प्रमुख जगदीश, उत्तराखंड के प्रांत प्रचार प्रमुख संजय, विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, प्रांत व्यवस्था प्रमुख नीरज मित्तल, रणजीत ज्याला, राजेश सेठी, रीता गोयल, सचिव राजकुमार टोंक, गजेंद्र खंडूरी, अनिल नंदा, राजेंद्र पंत, डॉ देवेंद्र भसीन, अंकुर जी, अजय जी आलोक सिन्हा प्रेम, दिनेश, मनीष आदि थे।
देव और दानव संस्कृति पर डाला प्रकाश
प्रांत प्रचारक ने देव और दानव संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए बदायूं की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मारकर खून पीने वाला राक्षस है। आगे उन्होंने हिरण्यकश्यप का जिक्र करते हुए कहा कि जो दूसरों को दुख देते हैं, परेशान करते हैं, दूसराें का कष्ट देखकर जिन्हें आनंद आता है, वही राक्षस है।
होल्याराें ने खेली फूलों की होली
होली मिलन समारोह में होल्यारों ने अनेक होली गीतों का गायन किया और होली के गीतों पर स्वांग रचाया। महिलाएं होली के पारंपरिक परिधान पहनी नजर आईं। हमारी पहचान रंग-मंच के अध्यक्ष मोहन पाठक और सचिव बबीता शाह लोहानी के नेतृत्व में कुमाऊनी होल्याराें ने फूलों की होली खेली और होली गीत गाकर लोगों को सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में आने वालों का अबीर-गुलाल का टीका लगाकर स्वागत किया गया।
समारोह में कवियों ने जमाया रंग
कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि एवं पत्रकार वीरेंद्र डंगवाल “पार्थ”, साहित्यकार शिवमोहन सिंह और शोभा सुनील ने शानदार कविताओं का पाठ किया। शोभा सुनील की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इसके बाद कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने मंच संभाला। उन्होंने ओज के छंदों से अपना काव्यपाठ शुरू किया। उन्होंने पढ़ा ‘धड़के के है दिल मात भारती के नाम से ही, देश भावना का यशगान लिख दीजिए’ और ‘मात भारती को हाथ जोड़ के प्रणाम मेरा, चरणों में उनके शतश वंदन है’। इसके बाद उन्होंने अयोध्या में प्रभु राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर आधारित छंद ‘कुसुम सतातन के कुसुमित फिर हुए, विराज रहे पावन अवध में राम जी’ सुनाकर वाहवाही लूटी। होली पर आधारित गीत ‘फागुन ने छेड़ी तान, घुघती गाए मीठे गान, खिला है फ्यूंली और बुरांश, प्रकृति में नवयौवन की आस, होली आई रे’ … का उपस्थित लोगों ने खूब आनंद लिया। इसके बात प्रेम पर गज़ल कहते हुए उन्होंने पढ़ा कि ‘तेरी यादों का समंदर विशाल होता है, घेर लेता है तम तब मशाल होता है’। आगामी लोकसभा चुनाव में एक छंद के माध्यम से डंगवाल ने मतदान की अपील की, उन्होंने पढ़ा कि ‘चुनाव की बयार में सियार भी मैदान में, गति मति यति नाप मतदान कीजिए’। इसके बाद शिवमोहन सिंह ने होली पर दोहे और गीत सुनाकर तालियाँ बटोरी।