विस्थापितों का होली मिलन: टी-एस्टेट बंजारावाला में कवियों ने जमाया रंग
टिहरी ग्रामीण मूल विस्थापित विकास समिति ने आयोजित किया होली मिलन समारोह और कवि सम्मेलन। कीर्तन मंडलियों ने भी गाए होली के गीत
टिहरी ग्रामीण मूल विस्थापित विकास समिति ने मंगलवार को होली मिलन समारोह और कवि सम्मेलन आयोजित किया। समारोह में कवियों ने खूब रंग जमाया। श्रृंगार, हास्य और वीर रस की रचनाओं को श्रोताओं ने खूब पसंद किया। वहीं, बच्चों ने भी होली व देशभक्ति गीत गाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। बच्चों ने भी खूब तालियां बटोरी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार राजेन्द्र पंत, विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् वीरेन्द्र सिंह गुसाईं, समिति के पदाधिकारियों व आमंत्रित कवियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। ओजस्वी पैन्यूली, यशस्वी पैन्यूली, समृद्धि पैन्यूली और स्कंधा नौटियाल ने गणेश और सरस्वती वंदना की। उन्होंने होली गीत भी गया। तबले पर उनका साथ रामकिशन रतूड़ी ने दिया।
वहीं, पारस पार्थ ने कैसियो के साथ संस्कृत गीत ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि, त्वया हिंदू भूमि सुखम वर्धतोयम’ गाकर तालियां बटोरी। दूसरी तरफ, राधाकृष्ण कीर्तन मंडली की अनीता सकलानी, कुमुद राणा, रजनी नेगी, सरोजनी राणा, निर्मला बहुगुणा और लक्ष्मी नारायण कीर्तन मंडली की सुषमा व्यास, उमा पंवार, पुष्पा पंवार, वीना पंवार और रजनी पंवार के होली गीतों पर श्रोता जमकर झूमे।
महिमा श्री के सरस्वती वंदन से शुरू हुआ कवि सम्मेलन
कवि सम्मेलन का शुभारंभ महिमा श्री ने मां सरस्वती का वंदन कर किया। उन्हें होली और श्रृंगार के गीतों से रंग जमा दिया। उन्हें श्रोताओं की खूब शाबाशी मिली। इसके बाद ओज के कवि जसवीर सिंह हलधर ने छंद और गीतों के पर तालियां बटोरी। श्रृंगार के कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने घनाक्षरी और माहिया भी खूब पसंद किए गए। उन्होंने गढ़वाली गीत ‘जु आई वैन जाण बि सदनि यख नि रण कैन’ सुनाकर वाहवाही लूटी।
हास्य कवि राकेश जैन ने लोगों को खूब हंसाया। उन्होंने हास्य रचनाओं के साथ ही होली गीत भी सुनाया। वहीं, ओज के कवि श्रीकांत श्री ने भी हास्य व्यंग्य की फुहारों से लोगों को खूब भिगोया। उन्हें ‘मेरा उत्तराखंड महान मेरा भारत देश महान’ गीत पर खूब सराहना मिली।
जहां के लोग अपनी संस्कृति का संरक्षण नहीं करते, वह राष्ट्र हो जाता है समाप्त
मुख्य अतिथि राजेन्द्र पंत ने कहा कि होली का पावन पर्व उल्लास और प्रेम का पर्व है। होली के रंग जीवन में उत्साह और समन्वय के प्रतीक हैं यदि हम इन्हें जीवन में उतार सकें, तभी इनका महत्व है। उन्होंने सनातन धर्म के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से अपनी बात रखी। कहा कि जिस देश/समाज के लोग अपनी संस्कृति का संरक्षण नहीं करते, वह राष्ट्र एक दिन राष्ट्र समाप्त हो जाता है।
विशिष्ट अतिथि वीरेन्द्र गुसाईं ने कहा पूर्वोत्तर राज्यों में होली से जुड़े अपने संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि भाषा की परेशानी के चलते वनवासियों को होली की जानकारी देने के लिए उन्होंने होली खेलकर उन्हें समझाया कि यह होली है।
अतिथियों का स्वागत और भेंट किए स्मृति चिन्ह
इससे पूर्व समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह असवाल, सचिव राजेंद्र सिंह राणा, वनित राणा, रविन्द्र सिंह पडियार, कुलदीप पंवार ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए। सचिव राजेंद्र सिंह राणा ने स्वागत उद्बोधन और अध्यक्ष राजेंद्र सिंह असवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ और कवि सम्मेलन का संचालन श्रीकान्त श्री ने किया।
कार्यक्रम में यह भी रहे मौजूद
कार्यक्रम में समिति के सूरज मेहता, करण सिंह पडियार, ललिता प्रसाद घिल्डियाल, कृष्णानंद सकलानी, ललित पैन्यूली, मधुबाला डंगवाल, ममता डंगवाल, सुलेखा राणा, मोहिता सेमवाल, वीरेन्द्र नौटियाल, सुकेश सकलानी, हेमलता जादली, सुनील राणा, नरेश सकलानी आदि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।