भारतीय नववर्ष 2078 का शुभारंभ, नव संवत्सर के राजा व मंत्री होंगे मंगल
-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है सनातन धर्म का नववर्ष। आज 13 अप्रैल से नव संवत्सर 2078 शुरू हो गया है
शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। भारतीय नववर्ष यानी सनातन नव-संवत्सर आज से शुरू हो गया है। सनातन धर्म के तहत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव-संवत्सर मनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। इस बार भारतीय नववर्ष 2078 नव-संवत्सर 13 अप्रैल 2021 से शुरू हुआ है। संवत 2078 को ‘राक्षस’ नाम से जाना जाएगा। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए इस बार करीब 90 साल बाद एक बार फिर खास संयोग बन रहा है।
13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हुए नव-संवत्सर के दिन 2 बजकर 32 मिनट में सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो रहा है। संवत्सर प्रतिपदा और विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र 13 अप्रैल को हो रही है। यह विचित्र स्थिति 90 वर्षों से अधिक समय के बाद हो रही है।
ऋतु परिवर्तन के साथ शुरू होता है सनातन नववर्ष
भारतवर्ष में ऋतु परिवर्तन के साथ ही सनातन नववर्ष प्रारंभ होता है। चैत्र में शीत ऋतु को विदा करते हुए व वसंत ऋतु के सुहावने परिवेश के साथ नववर्ष आता है। यह दिवस भारतीय इतिहास में कई कारणों से महत्वपूर्ण है। पुराण-ग्रन्थों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ही त्रिदेवों में से एक ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी, इसीलिए सनातन-समाज भारतीय नववर्ष का पहला दिन अत्यंत हर्षोल्लास मनाते हैं।
राजा/मंत्री दोनों ही मंगल
वर्ष का राजा व मंत्री का पदभार स्वयं भौम देव संभाले हुए है। भौम देव की उग्रतापूर्ण दशा में और राक्षस नाम संवत्सर होने से जनमानस उग्रता के साथ दानव सी प्रवृत्ति का आचरण दिखाई देगा। इस संवत्सर वर्ष में विद्वता, भय, उग्रता, राक्षसी प्रवृत्ति लोगों में पाई जाएगी। संक्रामक रोगों से संपूर्ण देश प्रभावित रहेगा।
सनातन समाज के लिए शुक्ल प्रतिपदा विशिष्ट
यूरोपीय सभ्यता के वर्चस्व के कारण समस्त विश्व में एक जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। भारत में भी लोग अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार नव वर्ष 01 जनवरी को मनाते हैं। लेकिन, देश में एक बड़ा वर्ग चैत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नववर्ष का उत्सव मनाता है। यह दिवस सनातन समाज के लिए विशिष्ट है। क्योंकि, इस तिथि से ही नए पंचांग प्रारंभ होते हैं और वर्ष भर के पर्व, उत्सव व अनुष्ठानों के शुभ मुहूर्त निश्चित होते हैं।