‘हिंदी के विकास में हिंदीतर भाषियों की देन’ विषय पर हुआ त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का शानदार आयोजन
–संत जोसफ महिला महाविद्यालय (स्वा.) विशाखपट्टणम व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) भारत ने संयुक्त रूप से किया आयोजन। 3 जुलाई को सम्पन्न हुआ वेबिनार
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। संत जोसफ महिला महाविद्यालय (स्वा.) विशाखपट्टणम व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) भारत के संयुक्त तत्वावधान में 1-3 जुलाई तक ‘हिंदी के विकास में हिंदीतर भाषियों की देन’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।
वेबिनार का उद्घाटन सत्र डॉ एस दीप्ति के प्रार्थना गीत से आरंभ हुआ।संत जोसफ कालेज की पीआरओ ने अतिथियों का स्वागत किया। वेबिनार में देश-विदेश के दो सौ से अधिक हिंदी प्रेमी, साहित्यकार, प्राध्यापक, हिंदी अधिकारी और शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया।
वेबिनार की संयोजिका द्वितीय भाषा विभाग की अध्यक्ष व वाजा महिला विभाग आंध्रप्रदेश की अध्यक्ष डॉ पीके जयलक्ष्मी ने संगोष्ठी के लक्ष्यों से अवगत कराया। पहले दिन का उप विषय था हिंदी के विकास में दक्षिण भारतीय संस्थाओं, भाषा प्रेमियों व पत्रकारों की भूमिका’। उक्त विषय से संबंधित जानकारी ‘वाजा इंडिया’ के संस्थापक महासचिव शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी’ व प्रमुख साहित्यकार, सेवानिवृत सह निदेशक दूरदर्शन हैदराबाद डॉ पी नागपद्मिनी ने दी।
वेबिनार की सह-संयोजक व वाजा आंध्रप्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ कृष्णबाबु ने वाजा की गतिविधियों की जानकारी दी। प्रपत्र वाचन में डॉ बी शुभा ने विशाखपट्टणम के वरिष्ठ हिंदी सेवी डॉ एनडी नरसिंहा राव का समग्र परिचय दिया।
दूसरे दिन का उप विषय था ‘हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाने में हिंदीतर लेखकों का योगदान’। तिरुवारूत के तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो.एसएएसएस नारायण राजु ने आंध्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त, राष्ट्रपति पुरस्कर से सम्मानित, धेय समर्प्ति विशिष्ठ हिंदी सेवी आचार्य एसए सूर्यनारायण वर्मा के व्यक्तित्व व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जो अत्यंत ओजपूर्ण रहा| इसके बाद ‘काव्य कौमुदी अंतर्राष्ट्रीय काव्य मंच’ की निदेशक प्रो. कुमुद बाला ने हिंदी की वर्तमान स्थिति और भविष्य का विस्तार विवरण देते हुए, हिंदी के विकास में अधिक कार्य करने पर जोर दिया। प्रपत्र वाचन में प्रो. वेंकट रमणा ने प्रो.आदेश्वर राव की कविताओं में निहित अद्भुत कल्पना शक्ति का अत्यंत सुंदर वर्णन किया।
सुश्री जयलक्ष्मी ने साहित्यकार आरिगिपूडी रमेश चौधरी का परिचय दिया। डॉ वरप्रसाद द्वारा बालशौरी रेड्डी की रचनाओं की जानकारी दी गई। हिंदी अध्यापिका डॉ एस दीप्ती ने सत्र का संचालन किया।
तीसरे दिन का उप विषय था ‘हिंदी के कार्य क्षेत्र में विदेशी विद्वानों की देन’। इस संदर्भ में प्रवासी साहित्यकारों के बारे में डॉ एस कृष्णबाबु का वक्तव्य प्रभावपूर्ण रहा। बल्गेरिया के सोफिया विश्वविद्यालय की डीन प्रो.मिलेना ब्रतोएवा ने यूरोपीय देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार व अनुवाद संबंधी अपने अनुभवों को शुध्द हिंदी में साझा किया। डॉ नीरजा का ‘मध्यकालीन हिंदी साहित्य’ से संबंधित प्रपत्र वाचन से लाभ हुआ।
इस संगोष्ठी में विद्यार्थिनियों के प्रार्थना गीत, नृत्य और सुंदर कविताओं ने सभी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। नेवल स्कूल की अध्यापिका एवं वाजा की सचिव डॉ सीएच निर्मला देवी ने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए सत्र का सफल संचालन किया। अंत में डॉ नाथन, वैजाग स्टील ने प्रतिभागियों की ओर से वेबिनार के सफल आयजन के लिए निर्वाहकों को बधाई दी। वेबिनार संयोजक प्रो. पीके जयलक्ष्मी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। वेबिनार का समापन राष्ट्र गान से हुआ।