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कवि जसवीर सिंह हलधर की हिंदी ग़ज़ल

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
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ग़ज़ल (हिंदी)
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आज तक मैंने तुझे जी भर जिया ए जिंदगी।
हर रिवायत में इज़ाफ़ा ही किया ए जिंदगी।

आदमी का काम है हर हाल में जीना तुझे,
सोमरस या ज़हर तू डटकर पिया ए जिंदगी।

भूख रोटी की मुझे हरगिज हरा पायी नहीं,
ज़ख्म हर उसका इरादों से सिया ए जिंदगी।

जब उजालों ने मुझे धोखा दिया है राह में,
तबअँधेरों का सहारा भी लिया ए जिंदगी।

कौन है खुद ही बता अभिशाप या वरदान तू?
लोभ माया जाल ने तोड़ा हिया ए जिंदगी।

दाग चोटों के अभी मौजूद हैं सर, भाल पर,
वक्त के आघात को हँस-हँस लिया ए जिंदगी।

मौत तो सच्ची सहेली तू पहेली क्यों हुई?
गीत ग़ज़लों का बनी तू काफिया ए जिंदगी।

जुर्म है या है सजा यह प्रश्न “हलधर ” पूछता?
जो भी है सब ठीक है अब शुक्रिया ए जिंदगी।।

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