Sat. Nov 23rd, 2024

कवि जसवीर सिंह हालधर का एक गीत.. लोग पत्थर के हुए हैं

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
—————————————

गीत-लोग पत्थर के हुए हैं
—————————————-

कूप अब पाताल में ईमान के गरके हुए हैं!
गीत बोलो क्या सुनाऊँ लोग पत्थर के हुए हैं!

निर्भया को न्याय मिलने में लगे थे साल कितने।
राम तंबू में फसे थे फट गए त्रिपाल कितने।
तीन लोको के विधाता अब कहीं घर के हुए हैं।।
गीत बोलो क्या सुनाऊँ लोग पत्थर के हुए हैं।।1

चोर डाकू फिर रहे रघुवंश का चोला पहनकर।
काग बगुले घूमते हैं हंस का चोला पहनकर।
बिम्ब अब देखूँ कहाँ पर आइने दरके हुए हैं।।
गीत बोलो क्या सुनाऊँ लोग पत्थर के हुए हैं।।2

आज के नेता बने हैं चाटुकारों के दुलारे।
मंच पर दिखते विदूषक नायकों सा भेष धारे।
लोभ लालच कीच में ये शीश तक सरके हुए हैं।।
गीत बोलो क्या सुनाऊँ लोग पत्थर के हुए हैं।।3

हाल यदि ऐसा रहा तो युद्ध घर में ही छिड़ेगा।
फावड़ा तलवार बन बंदूक से भी जा भिड़ेगा।
विश्व में बदलाव “हलधर ” मार या मरके हुए हैं।।
गीत बोलो क्या सुनाऊँ लोग पत्थर के हुए हैं।।4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *