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कवि जसबीर सिंह हलधर का शानदार गीत… लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है

जसबीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
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गीत-स्वर्ग धरती आ रहा है
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लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।
देवता भयभीत हैं कि स्वर्ग धरती आ रहा है।।

अब हवाएं मौन होंगी नीड़ निगलेगी न आँधी।
यातनाएं गौण होंगी खून बेचेगी न खादी।
गीत जन गण देवता के खुद हिमालय गा रहा है।।
लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।।1

भूख से होंगी न मौतें शांति होगी मरघटों में।
अब हलाला भी न होगा क्रांति होगी घूंघटो में।
बिजलियों के साथ बादल भी जमीं पर छा रहा है।।
लोक में परलोक नक्शा उतारा जा रहा है।।2

मौत से होगी न शादी जिंदगी आसान होगी।
नर्क में होंगे जिहादी कौम की पहचान होगी।
न्याय के अंगार को सूरज स्वयं दहका रहा है।।
लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।।3

देश का कानून होगा जालिमों को अब पनौती।
योजनाएं अब बनेंगी जुल्म शोषण को चुनौती।
एक रहबर जेल में भी राक्षसों को खा रहा है।।
लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।।4

स्वप्न हो साकार मेरा मांग लो बढ़कर दुआएं।
यज्ञ में आहूति दें हम भूलकर मजहब बलाएं।
मंत्र भारत भारती का एक सबको भा रहा है।।
लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।।5

राष्ट्र के निर्माण हित में जो कहो खुलकर कहो अब।
कौम के उत्थान में यूँ शांत ना बैठे रहो अब।
दाम खेती उपज का कुछ तो बढ़त दिखला रहा है।।
लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।।6

देश की खातिर जियें हम शान से सर को उठाये।
चाँद मंगल सैर कर ली अब चलो नभ चूम आयें।
शारदे की साधना का लाभ “हलधर” पा रहा है।।
लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।।7

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