कंचन संगीत कला केंद्र ने उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र व सम्मान पत्र का किया वितरण
-कार्यक्रम से पूर्व कंचन संगीत केंद्र की निदेशक व गुरु सतेश्वरी भट्ट, वीपी भट्ट व सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी एस चंद्रा द्वारा दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात शुभाली गैरोला, अतुल्य, परितोष शर्मा व राकेश कोली ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुत दी। अराध्या तिवारी, ईशानी खत्री व सुभाली गैरोला ने गणेश वंदना की प्रस्तुति दी।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (Shabd Rath News)। कंचन संगीत कला केंद्र के वार्षिक वार्षिक समारोह में गत 2 वर्षों में प्रयाग संगीत बोर्ड से प्रभाकर व अन्य परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र व सम्मान पत्र वितरण किए गए। साथ ही कोरोना की गाइड लाइन के अनुसार विशेष ध्यान रखते हुए विभिन्न प्रकार के गीत-नृत्य तथा वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतीकरण/जुगलबंदी का बहुत सुंदर आयोजन किया गया।
कार्यक्रम से पूर्व कंचन संगीत केंद्र की निदेशक व गुरु सतेश्वरी भट्ट, वीपी भट्ट व सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी एस चंद्रा द्वारा दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात शुभाली गैरोला, अतुल्य, परितोष शर्मा व राकेश कोली ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुत दी। अराध्या तिवारी, ईशानी खत्री व सुभाली गैरोला ने गणेश वंदना की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में तबला वादन/जुगलबंदी पारीतोष शर्मा, चंद्रेश बुधानी, हेमंत पांडे ने तीन ताल व टुकड़े प्रस्तुत किए। हारमोनियम में तबला गुरु विभूषित सिंह ने सहयोग किया। केसियो वादन में दिव्यांग हर्ष थापा ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया। तबला परितोष शर्मा, गिटार पर पंकज गैरोला व अंजली गौतम ने साथ दिया।
देशभक्ति गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों’ की प्रस्तुति शुभाली गैरौला, अतुल्य व राकेश कोली ने दी। नन्हे मुन्ने बच्चों विवेक, चंद्रेश, रागिनी व इशानी ने बरेली का झुमका गढ़वाली गीत पर नृत्य किया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में विजय प्रकाश ने गजल प्रस्तुत की, ज़िसमे पंकज गैरोला ने शायरी तथा पारितोष शर्मा ने तबले पर संगत किया। हिंदी गीत पर सुभानी गौतम द्वारा नृत्य प्रस्तुति दी, इसी प्रकार छोटे-छोटे बच्चे हर्षिता भट्ट व रागनी पाल ने परम सुंदरी हिंदी नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति गढ़वाली नृत्य ‘भामा मेरी’ पंकज गैरोला व अतुल्य ने बहुत सुंदर प्रस्तुति दी। ऋषभ वैद्य व सान्वी नैथानी ने गढ़वाली गीत प्रस्तुत किया। कैसियो अर्श थापा, गिटार में पंकज गैरोला, अंजलि गौतम व ढोलक पर पारीतोष शर्मा ने संगत दिया। हिंदी गीत ऋषभ सोनियाल ने प्रस्तुत किया। मुख्य प्रस्तुति में गरबा नृत्य प्रस्तुत किया गया, ज़िसमे आराध्या, ईशानी, विवेक व पारितोषि ने बहुत सुंदर प्रस्तुति दी। ‘समलोन्या रुमाल’ गढ़वाली गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम को सुंदर बनाने के लिए समाज में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले विभूतियों को संस्था द्वारा सम्मानित किया गया, जिसमें आरती गैरोला, दीपा थापा, आशीष मल्ल, ममता शर्मा, सुमित्रा देवी, इंदु भट्ट, अर्चना, संगीता खत्री, सीमा नेगी, रिया भंडारी, पिंकी गुसाईं, संगीता तिवारी तथा शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी एस. चंद्रा को सम्मानित किया गया। स्वामी एस. चन्द्रा ने कहा कि कंचन संगीत कला केंद्र कई वर्षों से छात्र-छात्राओं को मंच देने के लिए बहुत सुंदर प्रयास कर रही है, क्योंकि आज कल विद्यालय तो बहुत है केवल सिखाया जाता है। लेकिन, मंच प्रदान करने के लिए बहुत कम सोच वाले विद्यालय हैं, जिसमें कंचन संगीत कला केंद्र का नाम विशेषकर लिया जाना चाहिए। स्वामी ने उपस्थित सभी अतिथियों का धन्यवाद किया, इस प्रकार के कार्यक्रम के लिए हर वर्ष की भांति सहयोग एवं आशीर्वाद बनाए रखने के लिए अपील की। कार्यक्रम के प्रस्तुतीकरण के लिए विजय प्रसाद भट्ट जो कि तन-मध-धन से संस्था के लिए कार्य कर रहे हैं। मंच के पीछे से पूरा सहयोग करते हैं। इस अवसर पर उनको भी सम्मानित किया गया। संस्था को हमेशा फोटो/विडियो के माध्यम से सहयोग करने वाले अंकित श्रेष्ठ को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर स्वामी एस. चन्द्रा ने कहा विद्यालय बंद होने से शिक्षा में बाधा पहुंची है। बच्चों के अंदर बड़ी मुश्किल से शिक्षा के प्रति झुकाव हुआ था, वह भी समाप्ति की ओर होने जा रहा है। राजनीति चुनाव में जिस प्रकार से छूट दी जाती है, दुख का विषय है कि स्कूल बंद करने से बच्चों की पढ़ाई का जो नुकसान हो रहा है उसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल है। विशेषकर सरकारी विद्यालयों की जहां पर ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर कुछ भी नहीं हो पा रहा है, प्राथमिक विद्यालय शिक्षा का मूल होता है जब वही मूल न रहा तो शिक्षा कहां रहेगी।
केंद्र की निदेशक सतेश्वरी भट्ट ने सभी का स्वागत किया। बताया विगत 2 वर्षों से प्रमाण पत्र छात्र-छात्राओं को वितरण नहीं कर पाए थे, जिसका हमें खेद है। लेकिन, बच्चों की भावनाओं का ध्यान रखना हमारा प्रथम कर्तव्य था, इसलिए बहुत कम संख्या में अतिथियों को बुलाकर बच्चों द्वारा प्रस्तुति कराई गई, जिससे बच्चों के मन में कोरोना से है जो भय के कारण गिरते आत्मविश्वास को आत्मबल मिल सके।