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कान्हा सिमरण ओ मन मेरे, मैं भी नहीं रहना बिन तेरे…

चंदेल साहिब
कवि/लेखक
बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
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राधे तू रट ले ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

कान्हा सिमरण ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

मुरली धुन सुन ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

माधव दर्शन कर ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

चरण पकड़ ले ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

केशव-२ बोल ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

शरण पड़ा हूँ गोविंद मेंरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।

राधे नाम अनमोल ओ मन मेरे।
मैं भी नहीं रहना बिन तेरे।।
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..20/11/2020
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