करवा चौथ की ये बेला केवल हम दोनों के लिए…
डॉ अलका अरोड़ा
प्रोफेसर, देहरादून
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करवा चौथ
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तीस बरस के साथ में साजन
कोई पल ऐसा मिला नहीं
जिसमें तुमने कभी अकेला
मुझको छोड़ा हो कहीं
साथ तुम्हारा पाकर प्रिय
में बनी सौभाग्यवती नारी
जीवन के कदम-कदम पर
तुमने मेरी नाव संभाली
मेरे लिए तो हर दिन
करवा चौथ के जैसा है
बिन तुम्हारे एक पल मेरा
हर त्योहार फीका है
माना त्योहारों का महत्व
कभी नकारा नहीं जा सकता
पर तुम्हारे बिन क्या
एक पल भी बिताया जा सकता
तुम्हारी उम्र की दुआ हमेशा
मेरे लब पर रहती है
प्रभु ईश से हाथ जोड़कर
साथ की प्रार्थना होती है
मांग सिंदूर ललाट पर टीका
लाल चुनर हाथ में चूड़ा
साज श्रंगार सब करके
हर दिन तुम्हें रिझाती हूं
देख मुस्कुराहट चेहरे पर
संतुष्ट बहुत हो जाती हूँ
पर करवा चौथ पर व्रत रख कर
मैं धन्य धन्य हो जाऊंगी
मन में मेरे हर पल साजन
हर क्षण तुम ही बसे रहो
करवा चौथ की इस बेला पर
सिर मोर मुकुट बनकर रहो
मैं भी तुमको पाकर सदा
मानो यूं खुशहाल बनी
जो चातक पंछी को
एक बूंद ओस की मिली
तुमसे मुझको हर कदम पर
एक संबल मजबूत मिला
चांद को अर्ध्य देकर मैं भी
चाँदनी सी महक जाऊंगी
तुम्हें देखना देख कर जीना
मेरे जीवन का आधार प्रिय
तुमसे मेरी जिंदगी के
सारे ही त्यौहार प्रिय
करवा चौथ हर नारी का
बहुत प्रिय दिन है प्रिय
इस दिन तेरे जीवन में
खुद के होने का पर्याय प्रिय
मैं तो मांगू हर खुशी
आपकी, घर की, बच्चों की
करवा चौथ की ये बेला
केवल हम दोनों के लिए।