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हिमाचल से कवि चंदेल साहिब का वसंत पर एक गीत

कवि चंदेल साहिब
देवभूमि हिमाचल
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वसंत गीत
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देखो, देखो, अरे सखी..
झूमती, गाती व इठलाती।
मधुर ऋतु वसंत है आती।।

देखो, देखो, अरे सखी..
तन मन प्रफुल्लित की।
मनोहर आभा नभ की।।

देखो, देखो, अरे सखी..
निर्मल बहे चंचल पवन।
पावन करे हर घर आँगन।।

देखो, देखो, अरे सखी..
सरसों खेतों में लहराती।
गौरैया, कोयल गीत गाती।।

देखो, देखो, अरे सखी..
दिव्य अलौकिक यह संसार।
बसंत ऋतु का अमोल उपहार।।

देखो, देखो, अरे सखी..
बारिश की बूंदों का शोर।
रोए पपीहा औऱ नाचे मोर।।

देखो, देखो, अरे सखी..
भू पे लाल पीली कलियाँ।
पुष्प पे रँगबिरंगी तितलियाँ।।

देखो, देखो, अरे सखी..
दुल्हन सी सज़ी है धरती।
पिया मिलन की जिद करती।।
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