कवि हलधर जी का शानदार गीत… जातिवाद की लपटों से अब, मिलकर हमको लड़ना होगा..
जसवीर सिंह हलधर
कवि/शाइर
देहरादून, उत्तराखंड
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गीत………जातिवाद
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जातिवाद की लपटों से अब, मिलकर हमको लड़ना होगा ।
जीत मिले या हार मिले अब, इस दानव से भिड़ना होगा।।
कमजोर किया है हिन्दू को, इन कुंठित तुच्छ विचारों ने।
जाति बना दी वर्ण व्यवस्था, ले धर्म आड़ मक्कारों ने।
मानवता को आग लगाई, किसने दिखलाई चतुराई,
गैर किसी से जंग नहीं ये, अपनों से ही भिड़ना होगा।।
जातिवाद की लपटों से अब,मिलकर हमको लड़ना होगा।।1
खरपतवारों को फसलों से, चुनकर हम ही तो छांटेंगे।
अपने अनुभव का गंगाजल, पूरे जन गण में बांटेंगे।
गीता वेद पुराण हमारे, जाति पाति को सदा नकारे,
वैदिक परंपरा की मणियां, मुकुट शुद्र के जड़ना होगा।
जातिवाद की लपटों से अब, मिलकर हमको लड़ना होगा।।2
देश धर्म का कर्जा चुकता, करना है जाने से पहले।
दुश्मन कोई गैर नहीं है, अपने ही सब नहले दहले।
भूल गए सब वैदिक नाते, जातिवाद का ढोल बजाते,
भाईचारे की लाठी ले, आडंबर से अड़ना होगा।।
जातिवाद की लपटों से अब, मिलकर हमको लड़ना होगा।।3
वक्त पड़े पर साथ नहीं जो, क्या करना उन संबंधों का।
एक पक्ष की बात करे जो, लाभ नहीं उन अनुबंधों का।
छुआछूत ने भेद बढ़ाया, अनपढ़ भी विद्द्वान बताया
कुंए के मेंढक को “हलधर”, कुंए में ही सड़ना होगा।
जातिवाद की लपटों से अब, मिलकर हमको लड़ना होगा।।4
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सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशित…..28/11/2020
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