Fri. Nov 22nd, 2024

कवि जसवीर सिंह हलधर की ग़ज़ल… गले लगाकर कश्मीरी को, हिंदुस्तानी बोला जाए..

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड
————————————

मुक्तिका (ग़ज़ल)
———————————–

घाटी में रस घोला जाए।
झूँठ सत्य से तोला जाए।

सात दशक से जंग लगा है,
अब वो ताला खोला जाए।

गले लगाकर कश्मीरी को,
हिंदुस्तानी बोला जाए।

पाक करे यदि आना कानी,
घर उसका भी छोला जाए।

चिंगारी यदि शांत न होवे,
पाक जमीं तक शोला जाए।

केसर की घाटी में फिर से,
लाल परी का डोला जाए।

अमरनाथ बाबा के घर तक,
कांवड़ियों का टोला जाए।

पीओके भी लेना अब तो,
दाग जहां तक गोला जाए।

सबको सम अधिकार बांटने,
संविधान का झोला जाए।

तीन रंग का पशमीने से,
‘हलधर’ पहन झंगोला जाए।
———————————————-
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशित…..05/03/2021
नोट: 1. उक्त रचना को कॉपी कर अपनी पुस्तक, पोर्टल, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक, ट्विटर व अन्य किसी माध्यम पर प्रकाशित करना दंडनीय अपराध है।

2. “शब्द रथ” न्यूज पोर्टल का लिंक आप शेयर कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *