क्यों कह रहा है दिल तेरी तस्वीर पर लिखूं….
डॉ अलका अरोड़ा
प्रोफेसर, देहरादून
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बात कुछ तुम्हें बतानी है
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रांझे पे लिखूं याकि कसक पीर पर लिखूं
मैं सोचती हूं गीत नई हीर पर लिखूं।
कैसे जले हैं लोग किसी बेवफ़ाई में
इस प्यार की दहकी हुई तासीर पर लिखूं।
क्यों याद कर रही हूं तुझे बेसबब बता
क्यों कह रहा है दिल तेरी तस्वीर पर लिखूं।
इतने दिये हैं ज़ख़्म जमाने ने क्या कहूं
कितनी बड़ी है दर्द की जागीर पर लिखूं।
तेरी वफ़ा में इश्क़ है या हैं उदासियां
कैसे अभी से मैं मेरी तक़दीर पर लिखूं।
दरिया है आग का मेरी लकड़ी की नाव है
ठहरे कहीं बहाव खड़ी तीर पर लिखूं।
अंधा हुआ है दिल कि सलाखों में क़ैद है
किस क़ैद में हूं कौन सी ज़ंजीर पर लिखूं।