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पुलिस की गलतियों से बरी हुआ लाडली का कातिल अख्तर अली

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। लाडली का कातिल अख्तर अली नैनीताल पुलिस की नौ सबसे बड़ी गलतियों से बरी हुआ है। इसका खुलासा काठगोदाम थानाध्यक्ष की रिपोर्ट कर रही है। एसएसपी को थानाध्यक्ष की ओर से जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें आरोपी के दोषमुक्त होने में नौ बड़ी लापरवाही का स्पष्ट जिक्र है। पुनर्विलोकन के सात नए आधार बताए गए हैं। इन्हीं के आधार पर पुलिस अब आगे की कार्रवाई की तैयारी में है।

दोषमुक्त होने के नौ आधार

1. साक्ष्य को एक कड़ी से नहीं जोड़ा गया।

2. घटना का कोई चश्मदीद साक्ष्य नहीं दिया।

3. पीड़िता को गन प्वाइंट पर ले जाना बताया। लेकिन, किसी असलहे की बरामदगी नहीं की गई।

4. निखिल चंद जिसने सबसे पहले एसएसपी को फोन पर घटना की जानकारी दी, उसे गवाह नहीं बनाया। वह सबसे बड़ा लिंक एविडेंस हो सकता था।

5. पुलिस को घटनास्थल से कोई खून के धब्बे नहीं मिले। जबकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया था कि मृतका की मृत्यु अत्यधिक रक्तस्राव से हुई थी।

6. प्रथम सूचना रिपोर्ट में बच्ची को बाॅयकट बाल होना बताया गया। दूसरी ओर घटना स्थल पर आरोपी की निशानदेही पर हेयर बैंड मिला जो अभियोजन की कहानी में संदेह उत्पन्न कर रहा है।

7. आरोपी अख्तर अली को लुधियाना में भीड़भाड़ वाले शहर से पकड़ना व पहचानना बताया। दूसरी ओर लुधियाना की लोकल पुलिस स्टेशन में नैनीताल पुलिस ने न तो आमद कराई न रवानगी। इससे तथ्य पर संदेह हुआ।

8. अभियोजन की कहानी में तीन आरोपियों द्वारा बलात्कार करना बताया। जबकि, विधि विज्ञान प्रयोगशाला से डीएनए पर केवल एक युवक का वीर्य पाया गया।

9. पुलिस की ओर से नमूना सील का मौके पर न लिया जाना और सैंपल को 26 व 27 नवंबर 2014 को कहां रखा स्पष्ट नहीं किया गया।

पुनर्विलोकन के बताए ये आधार

– घटना के बाद आरोपी का फरार होना और उसकी गिरफ्तारी लुधियाना से करना इस मामले में मुख्य आरोपी व अन्य को तत्काल गिरफ्तार नहीं किया जा सका। घटना के बाद आरोपी का भाग जाना संदेह उत्पन्न करता है और घटना में उनकी लिप्तता को दर्शाने का महत्वपूर्ण आधार है।

– साक्ष्य को पूर्ण रूप से साबित करने व जोड़ने का प्रयास किया है। अभियोजन की ओर से पीडब्ल्यू 18 को पेश किया गया था। कोर्ट में इस गवाह ने अख्तर अली को अपने डंपर का ड्राइवर बताया। जो वाहन घटनास्थल पर खड़ा मिला, वह घटना को कड़ी के रूप में जोड़ता है।

– अभियोजन की ओर से पेश गवाह पीडब्ल्यू 24 के रूप में पपेश रेलवे कर्मचारी ने अख्तर को 21 नवंबर 2014 को ट्रेन में हल्द्वानी से लुधियाना जाने की बात कही। ये तथ्य घटना के बाद आरोपी का अपराध कर भागने को दर्शाता है। इस तथ्य को न्यायालय ने विचार में नहीं लिया।

– घटना का लिंक एविडेंस के रूप में एफएसएल रिपोर्ट, जिसमें डीएनए का परीक्षण किया गया वह महत्वपूर्ण है। दूसरा सीसीटीवी फुटेज व तीसरा सीडीआर। इसके आधार पर आरोपी को सजा दी जा सकती है।

– गंभीर अपराध के मामले में आरोपी ऐसे फोन का प्रयोग करते हैं, जिनका सिम उनके नाम का न हो। इसलिए आरोपी से बरामद सिम को किसके नाम से लिया गया, यह महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है। महत्वपूर्ण ये है कि वह किसके द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था।

– आरोपी के मौके से भाग जाना उसके पश्चातवर्ती आचरण को दर्शाता है ताकि साक्ष्य नष्ट किए जा सकें।

– अख्तर अली व प्रेमपाल घटना के बाद 21 नवंबर 2014 को दोपहर 2:04 बजे बैंक में गए थे। यह तथ्य साक्ष्य में शामिल नहीं किया गया।

ये था पूरा मामला
नवंबर 2014 में पिथौरागढ़ से लाडली परिवार के साथ हल्द्वानी में विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आई थी। शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में आयोजित समारोह से छह साल की मासूम अचानक से लापता हो गई। छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ। जांच में पता चला कि टॉफी का लालच देकर मासूम को अगवा किया गया और फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस घटना से पूरा कुमाऊं दहल गया और लोगों ने सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा निकाला। घटना के आठ दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से पकड़ा। उसकी निशानदेही पर प्रेमपाल और जूनियर मसीह को गिरफ्तार किया गया। मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देकर फांंसी की सजा सुनाई। प्रेमपाल को पांच साल की सजा सुनाई गई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। छह दिन पहले सुप्रीम आदेश में अख्तर को बरी कर दिया गया।

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