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लोक संस्कृति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है स्व. बड़ोनी जी का जन्मदिवस

कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
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-स्व. इंद्रमणि बडोनी का उत्तराखंड राज्य निर्माण में अहम योगदान है। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें उत्तराखंड का गांधी कहा जाता है। आज 24 दिसम्बर को उनकी जयंती है। प्रदेशभर में लोग आज उन्हें याद कर रहे हैं, उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।

उत्तराखंड, भारत का 27वाँ उत्तरीय एवं हिमालयी क्षेत्र का 11वाँ राज्य (गढ़वाल व कुमायूँ मंडल) जो देवभूमि नाम से प्रसिद्ध है। 62 वर्षों की लम्बी यात्रा 9 नवंबर 2000 को पूरी हो पाई।
1938 में तत्कालीन ब्रिटिश शासन में गढ़वाल के श्रीनगर में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार स्वयं निर्णय लेने व अपनी संस्कृति को समृद्ध करने के आंदोलन का समर्थन किया था। उसके बाद 1940 हल्द्वानी सम्मेलन, 1954 में उत्तर-प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंदबल्लभ पंत से पर्वतीय क्षेत्र के लिए पृथक विकास योजना का आग्रह, 1957 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष टीटी कृष्णमाचारी ने पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के निदान के लिए विशेष ध्यान देने का सुझाव, 1970 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं का निदान, राज्य व केन्द्र सरकार का दायित्व होने की घोषणा।
1979 को पृथक राज्य के गठन के लिए मसूरी में उत्तराखंड क्रान्ति दल की स्थापना की गई। 1987 में कर्णप्रयाग के सर्वदलीय सम्मेलन में उत्तराखंड के गठन के लिए संघर्ष के आह्वान के बाद वर्ष 1994 में राज्य बनने के लिए सबसे बड़ा संघर्ष।
संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में 02 अक्टूबर 1994 को दिल्ली में भारी प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में भाग लेने के लिए उत्तराखंड से हजारों लोगों की भागीदारी हुई। आंदोलनकारियों को मुज्जफरनगर में बहुत प्रताड़ित किया गया, उन पर पुलिस ने गोलीबारी व लाठियां बरसाई, महिलाओं के साथ दुराचार और अभद्रता की। इसमें अनेक लोग हताहत और घायल हुए, इस घटना ने उत्तराखंड आंदोलन की आग में घी का काम किया। फिर तो एक के बाद एक कांड:
– खटीमा गोली कांड: 7 लोग अमर शहीद।
– मसूरी गोलीकांड: 6 लोग अमर शहीद।
– मुज्जफरनगर गोलीकांड: 07 लोग अमर शहीद।
– देहरादून गोलीकांड: 03 लोग अमर शहीद।
– कोटद्वार गोलीकांड: 02 लोग अमर शहीद।
– नैनीताल गोलीकांड: 01 अमर शहीद।
– श्रीयंत्र टापू श्रीनगर गढ़वाल में 02 लोग अमर शहीद।
इस प्रकार की उग्र घटनाओं के बाद 27 अक्टूबर 1994 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री राजेश पायलट की आंदोलनकारियों से वार्ता हुई। 15 अगस्त 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने उत्तराखंड राज्य की घोषणा लाल किले से की।
1998 में भाजपा गठबंधन सरकार ने पहली बार राष्ट्रपति के माध्यम से उत्तर प्रदेश विधानसभा को उत्तरांचल विधेयक भेजा। उत्तर-प्रदेश सरकार ने 26वें संशोधन के साथ उत्तरांचल विधेयक विधानसभा में पारित करवाकर केन्द्र सरकार को भेजा। केन्द्र सरकार ने 27 जुलाई 2000 को उत्तर-प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 को लोकसभा में प्रस्तुत किया, जो 01 अगस्त 2000 लोकसभा और 10 अगस्त 2000 को राज्यसभा में पारित हो गया। भारत के राष्ट्रपति ने उत्तर-प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को 28 अगस्त 2000 को स्वीकृति दी।

उत्तराखंड राज्य बनने में जनांदोलन के रूप में प्रत्येक वय-वर्ग की हस्सेदारी रही। बच्चे-युवा-बुजुर्ग के साथ कर्मचारियों और विशेष तौर पर महिलाओं ने बढ़चढ़कर आन्दोलन में भागीदारी सुनिश्चित की।
स्मृति मंच के संस्थापक संस्कृति प्रेमी रमेश उनियाल की पहल पर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता पर्वतीय गाँधी स्व. इन्द्रमणि बड़ोनी जी का जन्मदिवस प्रदेश में वर्ष 2016 से प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को ‘लोकसंस्कृति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
रमेश उनियाल का मानना है कि हम बहुआयामी व्यक्तित्व और विविध संस्कृति से भरपूर देश में हैं। अपनी पुरातन संस्कृति को संजोए रखना हमारा कर्त्तव्य है। प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी से अपने अनुरोध पत्र में उन्होंने इस दिवस को ‘अखिल भारतीय लोक संस्कृति दिवस’ के रूप में मनाए जाने का आग्रह किया ताकि सभी राज्य अपनी-अपनी लोक संस्कृति के कार्यक्रम इस विशेष दिवस के रूप में आयोजित कर अपनी पहचान बनायें रखें।
पर्वतीय गाँधी आदरणीय बड़ोनी जी के जन्मदिन पर एक बार फिर जनांदोलन में अमर शहीदों को सादर प्रणाम, विनम्र श्रद्धांजलि एवं शत-शत नमन।

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