मां अक्षरा आप हमें ज्ञान दो… बुद्धि विवेक नम्रता दान दो
मां अक्षरा!
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मां अक्षरा आप हमें ज्ञान दो
बुद्धि विवेक नम्रता दान दो
आखर – आखर जोड़ लूं मैं
शब्द – शब्द सब ओढ़ लूं मैं
वाक्य सार्थक कर गढ़ लूं मैं
अंतर्मन छूकर आगे बढ़ लूं मैं
ऐसा मां तुम निर्मल वरदान दो
मां अक्षरा——————-
शीश पर शारदे तव हाथ रहे
सदा बस आपका ही साथ रहे
बुद्धि विवेक प्रवाह बना रहे
गौरवान्वित भाल सजा रहे
अधरों पर मां मंगलगान दो
मां अक्षरा——————-
कागज़ कलम सलामत रहें
पीर पराई हर पल हरते रहें
खुशियां अपनी कुर्बान करें
जन – जन के अश्रुपान करें
कंठ को भी मां मधुर गान दो
मां अक्षरा——————-
कर्मपथ पर हर कदम चलें
हर हाथ मशाल थाम चलें
मेहनत मूल्य हम जान लें
हाथ पांव छाले पहचान लें
सृजन शक्ति का मां संधान दो
मां अक्षरा——————-
@ स्वरचित…..जगदीश ग्रामीण