श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उत्तराखंड का पहला पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन सेंटर (व्यायाम शाला) शुरू
–विशेषज्ञ ट्रेनर्स की देखरेख में श्वास रोगियों के लिए अभ्यास की सुविधा
-एक से दो हफ्ते की अभ्यास प्रक्रिया के बाद मरीजों को मिलने लगता है़े फायदा
देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में उत्तराखंड का पहला पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन सेंटर (व्यायाम शाला) शुरू हो गया है। सांस के गम्भीर मरीजों को भर्ती रहने व ओपीडी उपचार के दौरान विशेष सांसों के व्यायाम से उपचार उपलब्ध करवाए जाने के उद्देश्य से इस सेंटर की स्थापना अस्पताल में की गई है। सेंटर की विशेषज्ञ टीम की देखरेख में रेसपिरेट्री मसल्स को मजबूत बनाने व सांस फूलने की समस्या से ग्रसित मरीजों को दवाओं के इलाज के साथ सांसों के विशेष अभ्यास सेंटर में करवाए जा रहे हैं। यह जानकारी श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ छाती एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डाॅ जगदीश रावत ने दी।
पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन सेंटर का शुभारंभ श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ के प्राचार्य डाॅ अनिल कुमार मेहता, सलाहकार, चेयरमैन डाॅ यशवीर दीवान, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ अनिल कुमार धवन व पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ श्वास एवं छाती रोग विशेषज्ञ डाॅ जगदीश रावत ने संयुक्त रूप से किया।
डाॅ जगदीश रावत ने बताया कि पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन सेंटर में गम्भीर श्वास रोगियों को विशेष व्यायाम करवाने के लिए आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। साइकिल पैडल एक्ससाइज़, अपर लिंब-लो लिंब एक्सरसाइज, एक्टिव साइकिल ब्रीदिंग कंट्रोल, पर्सलिप ब्रीदिंग कंट्रोल, एक्सरसाइज़, पोस्टोरल ड्रेनेज एक्रसाइज़, लो-लिम्ब स्ट्रेंदनिंग एक्सासाइज़ के द्वारा मरीजों को विशेष अभ्यास करवाए जा रहे हैं।
ऐसे सेन्टर अभी तक सिर्फ मेट्रो शहरों में
सेंटर ट्रेनर डाॅ दीप्ति जायसवाल ने बताया दी कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इस काॅन्सेप्ट को तैयार किया गया है। इस प्रकार के सेंटर दिल्ली, चण्डीगढ़, बाॅम्बे, गुजरात जैसे मेट्रो शहरों में ही उपलब्ध हैं। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में यह सेंटर खुलने से सांस के रोगियों को बड़ी राहत मिली है। इस काॅन्सेप्ट के तहत दवाओं के साथ विशेष एक्सरसाइज़ की मदद से मरीजों को जल्द ठीक होने में मदद मिलेगी। जिम एक्ससाइज़ व सेंटर की व्यायामशाला के व्यायास के अन्तर को समझाते हुए कहा कि सामान्य जिम में वेट लिफ्टिंग के बारे में ट्रेंड किया जाता है, जबकि पल्मोनरी रिहेबिलिटेशन सेंटर में पल्मोनरी मरीजों के उपचार व सांस सम्बन्धी मसल्स की मजबूती को ध्यान में रखते हुए विशेष सांस के अभ्यास करवाए जाते हैं। एक से दो हफ्ते की अभ्यास प्रक्रिया के बाद से ही मरीज़ को फायदा मिलने लगता है।