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मठ/अखाड़े की अकूत धन-संपदा, दो महंतों की पहले भी संदिग्ध मौत

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। बाघंबरी गद्दी मठ और निरंजनी अखाड़े की अकूत धन-संपदा को लेकर विवादों का पुराना रिश्ता रहा है। मठ/अखाड़े की सैकड़ों बीघे जमीनें बेचने, सेवादारों और उनके परिजनों के नाम मकान, जमीन खरीदने को लेकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि और उनके करीबी शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद लंबे समय से है। ऐसे ही विवादों को लेकर निरंजनी अखाड़े के मठ में दो महंतों की संदिग्ध मौत पहले भी हो चुकी हैं। अब नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर भी संपत्ति विवाद की गहरी जड़ें ध्यान खींच रही हैं।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी मठ के महंत नरेंद्र गिरि से उनके शिष्य योग गुरु आनंद गिरि के बीच विवाद बीते मई में बाघंबरी गद्दी मठ की 80 फीट चौड़ी और 120 फीट लंबी गोशाला की भूमि की लीज निरस्त कराने के बाद सामने आया। आनंद गिरि के नाम लीज पर दी गई इस जमीन पर पेट्रोल पंप प्रस्तावित किया गया। कुछ दिन बाद ही महंत नरेंद्र गिरि ने यह कहते हुए लीज निरस्त करा दी कि वहां पेट्रोल पंप नहीं चल सकता।

महंत नरेंद्र गिरि ने तर्क दिया था कि उस जमीन पर मार्केट बसा दिया जाएगा तो मठ की आमदनी बढ़ेगी। जबकि, आनंद गिरि का कहना था कि गुरुजी ने उस जमीन को बेचने के लिए लीज निरस्त कराई थी। बाघंबरी मठ की करोड़ों रुपये की इस जमीन को लेकर गुरु-शिष्य के बीच घमासान इस कदर मचा कि निरंजनी अखाड़े और बाघंबरी मठ से आनंद गिरि को निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद आनंद गिरि ने भागकर हरिद्वार में शरण ली।

आश्रम को करवा दिया गया सील

हरिद्वार में आनंद गिरि की ओर से बनवाए जा रहे आश्रम को भी सील करवा दिया गया। उनके सुरक्षा गार्ड वापस ले लिए गए थे। इससे पहले भी 40 करोड़ रुपये की बाघबंरी गद्दी मठ की सात बीघे भूमि बेचने को लेकर हुए विवाद को लेकर वहां राइफलें तन चुकी हैं। मांडा और राय बरेली में भी निरंजनी अखाड़े की करोड़ों की भूमि बेचे जाने को लेकर विवाद रहा है।

2005 में बागंबरी गद्दी मठ से जोड़े गए आनंद गिरि

योग गुरु आनंद गिरि पहली बार वर्ष 2005 में बागंबरी गद्दी मठ से जोड़े गए। वर्ष 2000 में आनंद ने महंत नरेंद्र गिरि को अपना गुरु स्वीकार किया था। हरिद्वार स्थित निरंजनी अखाड़े में 2003 में आनंद गिरि को पहली बार थानापति बनाकर बड़ोदरा अखाड़े के मंदिर में जिम्मेदारी दी गई। 2004 नरेंद्र गिरि मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बने। आनंद गिरि का कहना है कि महंत बनने के बाद सबसे पहले गुरुजी ने मठ के विद्यालय की एक जमीन बेची थी। जिसे लेकर अखाड़ा उनके विरोध में खड़ा हो गया था। आनंद का कहना है कि तब उन्होंने फोन करके उनको बड़ोदरा से बुलाया बाघंबरी मठ बुलाया था।

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