महंत नरेंद्र गिरि ने सुलझा लिए गए थे शिष्य आनंद गिरि के साथ हुए विवाद
-आनंद गिरि ने श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के नरेंद्र गिरि और पंच परमेश्वर से औपचारिक रूप से माफी मांगी थी। नरेंद्र गिरि ने तब उन्हें माफ कर दिया था। आनंद गिरि पर बड़े हनुमान मंदिर और बाघंबरी मठ में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को भी हटा लिया गया था।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। शिष्य आनंद गिरि को विवाद बाघंबरी मठ और निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया था। आनंद गिरि पर संन्यासियों के लिए निर्धारित आचरण के नियमों के उल्लंघन करते हुए परिवार के साथ संबंध रखने का आरोप था। उन पर मंदिर निधि से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त होने का भी आरोप लगाया गया, जिसकी पुष्टि अखाड़े के सचिव श्री महंत स्वामी रवींद्र पुरी ने की थी। आनंद गिरि गुरु के खिलाफ शिकायत लेकर उस वक्त पीएमओ और यूपी के सीएम के पास भी पहुंचे थे।
हालांकि कुछ ही दिनों में आनंद गिरि ने श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के नरेंद्र गिरि और पंच परमेश्वर से औपचारिक रूप से माफी मांगी थी। नरेंद्र गिरि ने तब उन्हें माफ कर दिया था। आनंद गिरि पर बड़े हनुमान मंदिर और बाघंबरी मठ में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को भी हटा लिया गया था। आनंद गिरि का नाम उनके गुरु के सुसाइड नोट में सामने आने के बाद सोमवार को हरिद्वार में हिरासत में लिया गया है।
7 पेज का एक हाथ से लिखा सूसाइड नोट
प्रयागराज स्थित मठ बाघमबारी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार को उनके बेडरूम में पंखे से लटकता मिला। पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है। कमरे से 7 पेज का एक हाथ से लिखा सूसाइड नोट मिला है, जिसमें शिष्यों पर आरोप लगाए गए हैं। इनमें प्रमुख शिष्य आनंद गिरि का भी नाम है। सुसाइड नोट में मठ की संपत्ति को लेकर विवाद और आरोपों को कारण बताया गया है।
2014 में चुना गया अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष
62 वर्षीय महंत नरेंद्र गिरि को 2014 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) का अध्यक्ष चुना गया। 10 अक्टूबर, 2019 को हरिद्वार में आयोजित बैठक में उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए फिर से चुना गया। एबीएपी देश के 13 मान्यता प्राप्त हिंदू धार्मिक मठों के आदेशों की सर्वोच्च संस्था है। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सेवारत सचिव नरेंद्र गिरि प्रयागराज के ट्रांस-गंगा क्षेत्र के रहने वाले थे। भाजपा और सपा दोनों के साथ उनकी घनिष्ठता थी।