महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या प्रकरण: फोरेंसिक जांच से खुलेगा सुसाइड नोट का राज
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के बाद फिलहाल जो भी आशंकाएं, निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं, उसका मूल मौके से बरामद सुसाइड नोट है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि सुसाइड नोट की प्रमाणिकता भी तब तक संदेह से परे नहीं है, जब तक कि फोरेंसिक जांच न हो जाए।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि जिस कमरे में फंदे पर लटके मिले, वहां छह पेज का सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट में मठ और अखाड़े के उत्तराधिकारियों के नाम लिखे गए हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें कभी महंत के बेहद करीबी रहे आनंद गिरि के अलावा लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी का नाम भी है। साथ ही सम्मान व अपमान को लेकर बातें लिखी हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि महंत किस अपमान को लेकर आहत थे?
पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले शव उतारा जा चुका था। महंत के शव के पास ही बिस्तर पर सुसाइड नोट था। छह पेज के सुसाइड नोट में वसीयतनामे से लेकर अन्य कई बातें लिखीं थीं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसमें महंत के सबसे करीबी शिष्य रहे आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी के नाम के साथ लिखा है कि वह इनके व्यवहार से आहत थे। सुसाइड नोट में लिखा है कि उन्होंने पूरा जीवन सम्मान के साथ जिया। कभी किसी तरह का दाग उनके दामन में नहीं रहा। लेकिन, कुछ लोगों ने मिथ्या आरोप लगाकर उन्हें अपमानित किया। जिससे वह दुखी हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह कौन सा अपमान था, जिसने महंत को इस कदर आहत कर दिया।
सुसाइड नोट में लिखी बातें सामने आने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। इन सवालों से सबसे ज्यादा घेरे में आनंद गिरि, बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य ख्पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी की भूमिका है।
क्या आनंद गिरि महंत को परेशान कर रहे थे?
आनंद गिरि की बात करें तो सवाल उठता है कि क्या वह किसी बात को लेकर महंत को परेशान कर रहे थे। गौरतलब है कि कुछ समय पहले आनंद गिरि को अखाड़े से निष्कासित किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए थे। जिसमें अखाड़े व मठ की संपत्तियों के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के कई शिष्यों के पास करोड़ों की संपत्ति होने से संबंधित तस्वीरें भी वायरल हुई थीं। आरोप लगा था कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की छवि धूमिल करने को लेकर साजिशन ऐसा किया गया। ऐसें में सवाल यह है कि क्या आनंद गिरि महंत को परेशान कर रहे थे?
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष से नहीं था विवाद
लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी व उनके बेटे संदीप तिवारी का नाम भी सुसाइड नोट में लिखा है, कि महंत इनके व्यवहार से आहत थे। चर्चा रही कि महंत से आद्या तिवारी का लेनदेन का मामला था, जिसे लेकर पिछले कुछ समय से उनके बीच मनमुटाव हुआ। महत्वपूर्ण सवाल यह कि क्या आद्या व संदीप की किसी बात को लेकर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष परेशान थे। हालांकि, हिरासत में लिए जाने के दौरान आद्या तिवारी ने इन बातों का खंडन किया और कहा कि उनका अखाड़ा परिषद अध्यक्ष से किसी तरह का विवाद नहीं था।
शिष्य न किए जाएं परेशान
सुसाइड नोट में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने यह भी लिखा है कि उनके अन्य शिष्यों का उनकी मौत से लेना-देना नहीं है, ऐसे में उन्हें परेशान न किया जाए। इसके अलावा विस्तार से लिखा है कि उनके न रहने के बाद मठ, अखाड़ा व हनुमान मंदिर में किसकी क्या भूमिका होगी। पुलिस ने भी इसकी पुष्टि की। आईजी रेंज केपी सिंह ने सुसाइड नोट में आनंद गिरि व वसीयतनामे के जिक्र की पुष्टि की। हालांकि, उन्होंने इससे ज्यादा कुछ बताने से इंकार किया। उनका कहना था कि मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल इससे ज्यादा बता पाना संभव नहीं है।
सुसाइड नोट का राज फोरेंसिक जांच से खुलेगा
अखाड़ा परिषद की संदिग्ध हाल में मौत के बाद फिलहाल जो भी आशंकाएं, निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं, उसका मूल मौके से बरामद सुसाइड नोट है। सूत्रों का कहना है कि सुसाइड नोट की प्रमाणिकता भी तब तक संदेह से परे नहीं है जब तक कि फोरेंसिक जांच न हो। फोरेंसिक जांच के दौरान हैंडराइटिंग मिलान में ही साफ होगा कि सुसाइड नोट अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने लिखा या नहीं। फोरेंसिक टीम ने इसे कब्जे में ले लिया है। साथ ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की हैंडराइटिंग का सैंपल भी लिया गया।