देहरादून के जैन मंदिरों में सामूहिक प्रक्षाल व शांति धारा, सामूहिक महावीर जिन पूजन
भगवान महावीर के जन्म कल्याणक (महावीर जयंती) के शुभ अवसर पर देहरादून के सभी जैन मंदिरों में सामूहिक प्रक्षाल व शांति धारा, सामूहिक महावीर जिन पूजन के मंगल उच्चारण और मंत्रों से गुंजायमान हुए। सभी ने बड़े धूमधाम से पूजन किया। इस अवसर पर पूरा देहरादून नगर में तोरण द्वार से सजाया गया। विभिन्न तरह की झांकियां बैंड बाजे शोभायात्रा में शामिल की गई। जगह जगह पर शोभा यात्रा का स्वागत किया गया। शोभा यात्रा के स्वागत में राजपुर विधानसभा के विधायक खजान दास, मेयर सुनील उनियाल गामा व अन्य भाजपा के पदाधिकारियों भी शामिल हुए।
इसी कड़ी मे जैन मिलन देहरादून के तत्वाधान में दून चिकित्सालय में फल वितरण किया गया। तत्पश्चात जैन धर्मशाला गांधी रोड पर मनोहर लाल जैन धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण व दवा वितरण शिविर लगाया गया, इसके पश्चात जैन भवन से ही शोभा यात्रा मे भगवान को साथ लेकर चलने वालों के पात्रों का चयन किया गया। श्रीजी की शोभायात्रा प्रारंभ हुई, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर सहभागिता की। बोली लेने वालों मे ख्वासी गौरव जैन (आशिमा विहार) सार्थी राकेश जैन (यूको बैंक) कुबेर अवनीश जैन (जीएमएस रोड) जिनवाणी रथ, ख्वासी समृद्धि जैन (देवलोक), सार्थी नित्य जैन (मोती बाजार), कुबेर संगीता जैन (रायपुर) वालों ने ली। सौरभ सागर सेवा समिति द्वारा श्री जी की आरती की गई तत्पश्चात श्री जी का अभिषेक किया गया।
इस अवसर पर जैन समाज के अध्यक्ष विनोद जैन, मीडिया इंचार्ज मधु सचिन जैन, संदीप (जैन मंत्री व संयोजक जैन भवन) बीना जैन, सचिन जैन, मनीष जैन, आशीष जैन, राकेश जैन, राजेश जैन, सुनील जैन, मुख्य उत्सव समिति संयोजक आशीष जैन, अर्जुन जैन, प्रवीण जैन, रुढा मल जैन, नीरज राजीव जैन, पूनम, रीना, मंजू, मोनिका, बीना, ममता, अलका, अशोक आदि मौजूद रहे।
बिहार के कुंडाग्राम में हुआ महावीर स्वामी का जन्म
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म बिहार के कुंडाग्राम में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। कहा जाता है कि 30 वर्ष की आयु में इन्होंने राज महल के सुख त्यागकर सत्य की खोज में जंगलों की ओर चले गए। घने जंगलों में रहते हुए इन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके बाद ऋजुबालुका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान महावीर ने समाज के सुधार और लोगों के कल्याण के लिए उपदेश दिए।
भगवान महावीर का संदेश दया मानव धर्म का मूल मंत्र
भगवान महावीर का संदेश दया मानव धर्म का मूल मंत्र है, दया शून्य धर्म हो ही नहीं सकता। दूसरों की भलाई में अपनी भलाई निहित है। खुद जियो और दूसरों को भी जीने दो। अपनी ताकत और बहादुरी को दूसरों की सहायता और भलाई के लिए काम में लाओ। भगवान महावीर ने सभी को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया।