‘मनस्वी’ 7 अक्टूबर को पूरे भारत के सिनेमाघरों में होगी रिलीज़, ट्रेलर ने दर्शकों को किया चकित
-इंदौर के जाने-माने लेखक मनोज ठक्कर द्वारा निर्देशित, अनूठी फ़िल्म 7 अक्टूबर को रिलीज़ के लिए तैयार
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (Shabd Rath News)। बहुप्रतीक्षित आध्यात्मिक थ्रिलर फिल्म ‘मनस्वी’ का ट्रेलर आज इंदौर में धूमधाम से लॉन्च किया गया। आगामी 7 अक्टूबर को समूचे भारत के पीवीआर सिनेमाघरो में फिल्म को प्रदर्शित किया जा रहा है। रिंकू ठक्कर, अर्चना दुबे और प्रतीक संघवी के सहयोग से जयेश राजपाल, शिव कुमार शर्मा के नेतृत्व मे इंदौर के फिल्म प्रेमियों के समूह द्वारा निर्मित फिल्म की घोषणा पिछले हफ्ते प्रसिद्ध बॉलीवुड ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा ने की थी।
फिल्म का निर्देशन मनोज ठक्कर ने किया है, जो लेखक और टीम के आध्यात्मिक गुरु हैं। वह आध्यात्मिक विषयों की चार पुस्तकों के लेखक भी हैं व मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल और भारत मेंचार राष्ट्रपति सम्मानों के प्राप्तकर्ता हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक काशी मरणान्मुक्ति के लिए कई पुरस्कार जीतेहैं और उन्हेंउनके काम के लिए ऑस्ट्रेलिया मेंविक्टोरियन संसद मेंभी सम्मानित किया गया है।
मनस्वी अपने नायक सत्यकाम (सीबीआई अधिकारी) की आध्यात्मिक यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मध्य भारत में निरंतर हो रही बाल हत्याओ के मामले को सुलझाने का प्रयास कर रहा है। इस प्रवास के दौरान उसकी मुलाकात अपने गुरु अघोरी बाबा से होती है, जो अपनी करुणा से उन्हें सिखाते हैं कि अघोर होना क्या है। उसी समय उसके गुरु उसका परिचय बौद्ध भिक्षु लामाजी से भी कराते हैं, जो तंत्र को अपने जीवन में शामिल कर नेके अर्थ पर प्रकाश डालते हैं। इन दो गुरुओ की मदद से सत्यकाम की हत्याओ के रहस्य को सुलझाने की बाहरी यात्रा को परम सत्य की खोज की, उसकी आंतरिक यात्रा के साथ बुना गया है।
सत्यकाम का किरदार रवि मित्तल ने निभाया है, जो पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट और मन से फिल्म प्रेमी हैं। अघोरी बाबा का किरदार एक वास्तविक जीवन साधक, शशांक चतुर्वेदी (स्वामीजी) द्वारा निभाया गया है जो अपना अधिकांश समय हिमालय में बिताते हैं। जबकि, लामाजी का किरदार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्वछात्र विशाल चौधरी ने निभाया है। फिल्म की उत्पत्ति का पता एक किताब से लगाया जा सकता है, जिसे मनोज, जयेश और पटकथा लेखक नुपुर ने पहले एक साथ लिखा था, जिसका शीर्षक था अघोरी: ए बायोग्राफिकल नॉवेल जो कुं भ में एक वास्तविक अघोरी के साथ मनोज की मुलाक़ात से प्रेरित है। किताब की सफलता के बाद तीनों ने कहानी को एक और नए प्रारूप में तलाशने का फै सला किया और इस तरह फिल्म बनी।
जयेश सिनेमा और क्रू के एक दूसरे से गहरे संबंध को साझा करते हुए बताते हैं कि “हम युवाओ का एक समूह है जो एक साथ काम करने वाली पारिवारिक इकाई के रूप में व्यवसाय करने के साथ-साथ सामाजिक कार्य भी कर रहे हैं। हम में से अधिकांश अपनी किशोरावस्था में थे जब हम पहली बार इस असाधारण इंसान से मिले, जिसे हम सर (मनोज) कहते हैं, जो हमें अर्थशास्त्र पढ़ाते थे। मनोज जी जीवन भर फिल्मों के शौकीन रहे हैं। पिछले 30 सालों से वह प्रतिदिन एक फिल्म देखते आए हैं। मेरे पिता फिल्म वितरण व्यवसाय चलाते थे और हमने 1982 से मध्य भारत में 50 से अधिक फिल्मों का वितरण किया है।
‘मनस्वी’ फिल्म निर्माण का हमारा पहला प्रयास है। मनोज के अनुसार, इस फिल्म को बनाने के कई कारण थे, लेकिन मुख्य रूप से, “यह अघोर और तंत्र की अवधारणाओ के
आसपास की जनसामान्य भ्रांतियों को दूर करने के लिए है। हम आज के युवाओ को उनकी अपनी भाषा में अध्यात्म का बहुप्रतीक्षित संदेश देना चाहतेथे। क्योंकि, इस आधुनिक जीवन में हम कई नकारात्मक विचारों, भय, चिंता, आक्रोश, दिमागी, तनाव, अनिद्रा के बोझ तले दबे हुए हैं, ऐसा लगता है कि हम अपने उद्देश्य की भावना खो चुके हैं। मनस्वी का लक्ष्य हमें यह दिखाना है कि बाहर का रास्ता तो भीतर की ओर मुड़ना है।
जयेश सहमत होते हुए कहते हैं, “हमारे देश के भीतर ‘अघोर’ और ‘तंत्र’ की आध्यात्मिक अवधारणाओ को बहुत बदनाम किया गया है, जनसामान्य धारणा उन्हें मात्र श्मशान घाट या काला जादू आदि से जोड़ती है, जो सच्चाई से बहुत परे है। भारत की सच्ची विरासत इसकी आध्यात्मिक विरासत है और यही हम मनस्वी के साथ दुनिया को दिखाना चाहतेहैं।”
यह फिल्म निर्देशक मनोज सहित कई युवा कलाकारों और क्रू के लिए पहली फिल्म है, वे कहते हैं, “इस फिल्म के साथ हमने दिखाया है कि अच्छा सिनेमा बनाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए आपको बॉम्बे जाने की आवश्यकता नहीं है। इस देश के युवा एक साथ आ सकते हैं और एक नई तरह का तालमेल बैठा सकते हैं, न केवल फिल्में बनाने के लिए बल्कि वे किसी भी क्षेत्र मेंसफलता प्राप्त कर सकते हैं, जिसके लिए वे अपना मन बना लें।”
फिल्म को पूरी तरह से इंदौर के 30 किलोमीटर क्षेत्र के भीतर अगस्त 2020 के दौरान, सभी कोविड -19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करतेहुए शूट किया गया था। टीम ने अपने व्यवसाय चलाने के कई वर्षों के प्रबंधन अनुभव को फिल्म के सेट पर उपयोग में लाया है। जयेश कहते हैं, “फिल्म के निर्माण के साथ सब कुछ सुचारू रूप से चला, क्योंकि जब आप अपने साथियों के साथ अपने जुनून को पूरा करते हैं, तो वह वास्तव में काम की तरह नहीं लगता है। और अब जब थिएटर आखिरकार खुल गए हैं, तो हम पूरे देश में मनस्वी के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें शिक्षित करने के लिए बहुत उत्साहित हैं, डिवाइन ब्लेसिंग स्टूडियोज द्वारा निर्मित रिंकू ठक्कर, अर्चना दुबे और प्रतीक संघवी के सहयोग से मनस्वी 7 अक्टूबर को पूरे भारत के सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।