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मतना मारे कोख मै माता मै सारे दुःख सह लूँगी….

सुनील शर्मा
गुरुग्राम, हरियाणा
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मतना मारे कोख मै माता मै सारे दुःख सह लूंगी
ना मांगु कुछ तेरे तै मै भुखी प्यासी रह लूंगी

औजार लेकर खड़ा है दुश्मन मेरे टुकडे टुकडे कटेगा
करके मेरी बोटी बोटी फेर गटर मै डालेगा
कैसे बताऊँ दुःखडा री माता मै अन्दर ही रो लूँगी
ना मांगु कुछ तेरे तै मै भूखी प्यासी रह लूँगी

जब आवै मेरा बाबुल बाहर ते मै हँस हँस के बतलाऊंगी
भूखे प्यासे बाबुल को मै प्यार तै भोजन कराऊँगी
क्यों होवे निराश री माता जो मिल जा वो ही खालूँगी
ना मांगु कुछ तेरे तै री भूखी प्यासी रह लूँगी

बहनों के बिन भाई की जग मै नही री इज्जत होती है
जिस घर में हो भाई बहन उस घर में रोशनी होती है
क्यू कर रही अत्याचार री माता हँसी खुशी तै रह लूँगी
ना मांगु कुछ तेरे री भूखी प्यासी रह लूँगी

पढ़ लिख कर मै बनूंगी अफसर तेरा नाम देश मै कर दूँगी
बाबुल भी राजी होगा जब उसकी तिजोरी भर दूँगी
तेरी शान मै झंडे गाडू रूखी सुखी खा लूँगी
ना मांगु कुछ तेरे तै री भूखी प्यासी रह लूँगी

मतना मारे कोख मै माता मै सारे दुःख सह लूँगी।

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