टिहरी नगर: एमडीडीए आज भी ध्वस्त नहीं कर पाया पूरा अवैध निर्माण, मामले में एई, जेई व सुपरवाइजर सस्पेंड
-टिहरी बांध विस्थापित कालोनी अजबपुर (टिहरी नगर) में आनंद सिंह रावत ने तीन मंजिल में नौ दुकाने बना दी थी। अवैध रूप से बनाई गई इन दुकानों के मामले में सुनवाई के बाद एमडीडीए ने ध्वस्त करने के आदेश दिए। लेकिन, तय समय पर दुकानें ध्वस्त नहीं की गई।
शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। टिहरी बांध विस्थापित कालोनी अजबपुर (टिहरी नगर) में आवासीय कॉलोनी के बीच बनी अवैध व्यावसायिक दुकानों को एमडीडीए आज भी पूरा ध्वस्त नहीं कर पाया। आधा ध्वस्त किया गया भवन कभी भी गिर सकता है, जिससे पड़ोसियों को खतरा हो सकता है। हालांकि, एमडीडीए ने भवन के चारों ओर बेरीकेडिंग कर दी है।
एमडीडीए ने आवासीय कालोनी में व्यावसायिक अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई न करने पर गुरुवार को दो इंजीनियरों सहित तीन को निलंबित कर दिया था साथ ही संयुक्त सचिव का जवाब-तलब भी किया गया है। एमडीडीए की टीम ने गुरुवार की रात को अवैध निर्माण का कुछ हिस्सा ढहा दिया था। शेष हिस्से को ढहाने की कार्रवाई आज शुक्रवार को हुई। लेकिन, फिर भी पूरा निर्माण ध्वस्त नहीं हुआ है। वैसे देहरादून में एमडीडीए के स्तर से पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की गई है। इससे पहले ज्यादातर मामलों में एमडीडीए नोटिस भेजने व सीलिंग की कार्रवाई करता रहा है। एमडीडीए उपाध्यक्ष बृजेश संत ने कहा कि यह कार्रवाई उन सब सभी के लिए सख्त संदेश है, जो अवैध निर्माण कर रहे हैं। अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दून यूनिवर्सिटी रोड पर टिहरी नगर में आनंद सिंह रावत ने तीन मंजिल में नौ दुकानें बना दी थी। अवैध रूप से बनी इन दुकानों के मामले में सुनवाई के बाद एमडीडीए ने ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे। लेकिन, तय समय पर दुकानों को ध्वस्त नहीं गया। इसकी शिकायत अधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने मामले की आंतरिक रूप से जांच कराई। जांच में लापरवाही व जानबूझकर कार्रवाई न करने की पुष्टि हुई, जिस पर एई पीएन बहुगुणा, जेई प्रमोद मेहरा व सुपरवाइजर वीरेंद्र खंडूड़ी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा संयुक्त सचिव मीनाक्षी पटवाल से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
इंजीनियरों और सुपरवाइजर पर कार्रवाई करने के साथ ही प्राधिकरण की टीम मौके पर पहुंची और अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। सचिव हरबीर सिंह ने बताया कि भवन का बड़ा हिस्सा ध्वस्त कर दिया गया है। कुछ हिस्सा गिरने वाला है, जो कभी भी गिर सकता है। इसको देखते हुए भवन की बैरिकेडिंग कर दी गई है ताकि लोग वहां न जा सकें।
प्लाट का आवंटन ही है अवैध
स्थानीय विस्थपितों का कहना है कि आनंद सिंह रावत ने प्लाट का आवंटन ही अवैध रूप से करवाया है। यह जगह विस्थापितों की है। काली का मंदिर भी यहां पर है। यहां पर आवंटन के खिलाफ गत वर्ष विस्थपितों ने कई दिन तक यहां पर धरना भी दिया था। इससे बावजूद टीएचडीसी के अधिकारियों की मिलीभगत से प्लाट आवंटित कर दिया गया है। अवैध प्लाट पर आवासीय कालोनी में व्यावसायिक भवन बना दिया गया। जिसे अब गिरा दिया गया है।