फीस जमा न करने पर निजी स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन क्लॉस से निकाला, एनएपीएसआर जाएगा कोर्ट
देहरादून। नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने निजी स्कूलों पर आरोप लगाया है कि फीस जमा न करने पर कई स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन क्लास से निकाल दिया है। ऐसे में एसोसिएशन उत्तराखंड सरकार के खिलाफ अभिभावकों के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाएगी। मामले में मानव अधिकार आयोग, सेवा का अधिकार अधिनियम और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा ताकि मनमानी करने वाले निजी स्कूलों को दंडित किया जाए और अभिभावकों को राहत मिल सके।
एसोसियेशन के नेहरू कॉलोनी स्थित राष्ट्रीय कार्यालय में गुरुवार को बैठक आयोजित की गई। वक्ताओं ने कहा कि कोविड-19 के दौरान हाई कोर्ट और सरकार के आदेश के अनुसार कोई भी स्कूल फीस जमा न होने की दशा में किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नही कर सकता। अभिभावकों पर स्कूल फीस को लेकर दबाव भी नहीं बना सकता। लेकिन, शिकायत मिली है कि स्कूल फीस जमा करने के लिए अभिभावकों को मैसेज कर परेशान कर रहे हैं। कई स्कूलों ने फीस जमा न कराने पर बच्चों को ऑनलाइन क्लास से भी हटा दिया है। इसकी शिकायत मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा रानी पैन्यूली और उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से भी गई है। लेकिन, दोनों दोनों स्तर पर नोटिस देने के अलावा कोई काम नहीं हुआ। एसोसिएशन के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि बच्चे को फीस के कारण शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि बच्चे को शिक्षा से वंचित करने पर संबंधित विभाग को स्कूलों पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। आरिफ ने कहा कि विभाग कार्रवाई नहीं करते, एईस में एसोसिएशन काम करेगी। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान, प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट राजगीता शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष रवि त्यागी, प्रदेश महासचिव नदीम खान, प्रदेश सचिव ऐश्वर्य गौरव, महानगर अध्यक्ष नवदीप गर्ग, किरन बिष्ट नेगी, कोषाध्यक्ष पूजा गर्ग, मीडिया प्रभारी सोमपाल सिंह, अभिभावक भुवन पालीवाल आदि मौजूद रहे।