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Movie Review Zero: ज़ीरो में दिखा प्यार का एक अलग अंदाज़, मिले इतने स्टार्स

स्टार कास्ट: शाह रुख़ ख़ान, कटरीना कैफ़, अनुष्का शर्मा आदि l

डायरेक्टर: आनंद एल राय

स्क्रीनप्ले: हिमांशु शर्मा

निर्माता: गौरी ख़ान

शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म जब भी आती है तो देश में एक उत्सव सा माहौल होता है। करोड़ों चाहने वाले उत्सुकता से उनकी फ़िल्म का इंतज़ार करते हैं। शाह रुख़ भी अपनी फ़िल्मों की मार्केटिंग के जरिए एक अलग ही माहौल बना देते हैं। इस बार किंग ख़ान लेकर आ रहे हैं ज़ीरो। ज़ीरो कई मायने में ख़ास है।

यह पहला मौका है जब पूरी फिल्म का नायक एक बौना है और उसके लिए बॉडी मॉर्फिंग का इस्तेमाल ना करके एक विशेष टेक्नोलॉजी से नायक को ही बौना बनाया गया है। यह एक विश्वस्तरीय प्रयास है। यह कहानी है मेरठ में रहने वाले बउआ सिंह (शाह रुख़ ख़ान) की। छोटे कद के कारण 38 साल की उम्र में भी बउआ की शादी नहीं हो पाई है और उसके लिए वह मैरिज ब्यूरो के चक्कर भी काटता है। ऐसे में उस की मुलाकात होती है आफिया भिंडर (अनुष्का शर्मा)से!

आफिया एक स्पेस साइंटिस्ट है लेकिन, वह सेलेब्राल पलसी पीड़ित है! दसवीं पास बबुआ और मंगल पर यान भेजने की तैयारी करती आफिया की जोड़ी वैसे ही बेमेल होती है लेकिन, बबुआ उसको अपने प्यार का यकीन दिला देता है। मगर जब शादी का मौका आता है तो बबुआ फ़िल्मस्टार बबीता (कैटरीना कैफ) के प्यार में पागल डांस कंपटीशन में हिस्सा लेने के लिए मंडप छोड़ कर भाग जाता है! इसके बाद क्या क्या होता है इसी ताने-बाने पर बुनी गयी है फ़िल्म- ज़ीरो।

तनु वेड्स मनु और रांझना जैसी बेहतरीन फ़िल्में बनाने वाले आनंद एल राय ने एक साहस भरा फैसला लिया है। यह फ़िल्म बनाना वाकई कोई आसान काम नहीं था लेकिन आनंद इसमें काफी हद तक सफल नजर आते हैं। बउआ के बदतमीजी भरे संवाद कहीं उसकी बदतमीजी के पीछे उसकी अनकही हीन भावना! दुनिया जीत लेने वाला आत्मविश्वास! आफिया के सपने! पृथ्वी से यान भेजने के पीछे टेक्नोलॉजी को बेहतरीन ढंग से पेश करने की सफल कोशिश और बबीता के माध्यम से फ़िल्म इंडस्ट्री में झांकने का प्रयास। कुल मिलाकर यह फ़िल्म तीन अलग-अलग लोगों की अलग-अलग दुनिया की मनोरंजक यात्रा है!

बउआ सिंह बने शाह रुख़ ख़ान टिपिकल कनपुरिया अंदाज़ में लोगों का दिल जीत लेते हैं! अनुष्का शर्मा की अदाकारी लोगों को बांधे रखती है! कैटरीना एक अलग अंदाज़ में नजर आती है! हालांकि, जीशान, तिग्मांशु धूलिया जैसे कलाकारों के किरदारों को न्याय नहीं मिला है।

प्रोडक्शन ग्रैंड लेवल पर किया गया है। कहीं भी कोई कोताही नहीं बरती गई है! फ़िल्म का संगीत शानदार है! कोरियोग्राफी चार चांद लगाती है! सिनेमैटोग्राफी फ़िल्म को एक अलग स्तर पर ले जाती है! एडिटिंग डिपार्टमेंट में थोड़ा और काम किया जाना था! कुल मिलाकर ज़ीरो कमर्शियल जोन में एक मनोरंजक फ़िल्म है जिसका आनंद आप सपरिवार ले सकते हैं…

रेटिंग: 5 (पांच) में से 3.5 (साढ़े तीन) स्टार

अवधि: 2 घंटे 44 मिनट

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