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उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग करने वालों की हो जांच: हरीश रावत

-उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से राज्य में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का वादा किया गया। प्रचारित किया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह वादा किया। लेकिन, चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद रावत मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुद्दे का फंडा फोड़ कर दिया। रावत ने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह पर उठाए सवाल

शब्द रथ न्यूज, ब्यूरो (shabd rath news)। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना करने की मांग करने वालों की जांच होनी चाहिए। साथ ही इस तरह की मांग करने वाले आकिल अहमद को पदाधिकारी किसने बनाया इसकी भी जांच होनी चाहिए। उक्त व्यक्ति के नामांकन में मेरा दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। यह व्यक्ति राजनीतिक रूप से भी मेरे नजदीक नहीं रहा।

रावत ने कहा है कि आकिल अहमद को राजनीतिक रूप से उपकृत करने वालों को सब लोग जानते हैं। उसे किसने सचिव बनाया, फिर महासचिव बनाया और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में उसे किसका समर्थन हासिल था, यह भी सबको पता है। उस व्यक्ति के विवादास्पद मूर्खतापूर्ण बयान के बाद मचे हल्ले-गुल्ले के दौरान उसे हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा का प्रभारी बनाने में किसका हाथ रहा है, यह अपने आप में जांच का विषय है।

प्रीतम को नसीहत, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर हमला

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता अभी सदमे में हैं। लेकिन, राज्य में पार्टी के शीर्ष नेता एक दूसरे को अभी भी गरिया रहे हैं। चुनाव में हरीश रावत के अप्रत्याशित रूप से रामनगर सीट से दावेदारी पर बीते रोज नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सवाल उठाए थे। आज रावत ने प्रीतम को नसीहत के साथ में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव पर भी परोक्ष रूप से हमला बोला। रावत ने कहा कि प्रीतम ने एक बहुत सटीक बात कही कि आप जब तक किसी क्षेत्र में 5 साल काम नहीं करेंगे तो आपको वहां चुनाव लड़ने नहीं पहुंचना चाहिए। फसल कोई बोये काटने कोई और पहुंच जाए। लेकिन, मैं तो चुनाव लड़ने के बजाय चुनाव प्रचार करना चाहता था। स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में राय दी गई कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए।

मुझ पर गुस्सा निकालने, खरी-खोटी सुनाने का हक

मैंने रामनगर से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की। वर्ष 2017 में भी वहीं से लड़ना चाहता था, पर रणजीत रावत की गुजारिश पर किच्छा चला गया। मुझे रामनगर से चुनाव लड़ाने का फैसला भी पार्टी का था और मुझे रामनगर के बजाय लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाने का फैसला भी पार्टी का ही था। मैं सभी उम्मीदवारों की हार का उत्तरदायित्व अपने सर पर ले चुका हूं। सभी को मुझ पर गुस्सा निकालने, खरी-खोटी सुनाने का हक है। पर सत्य की अनदेखी भी नहीं होनी चाहिए।

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