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नई पीढ़ी के नवनिर्माण को पुरानी पीढ़ी को बदलना होगा: पीके जयलक्ष्मी

-पीढ़ी समाचार पत्र/पत्रिका व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) आन्ध्रप्रदेश इकाई ने आयोजित किया वेबीनार। नई पीढ़ी ने नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर महिला वक्ताओं ने रखे विचार

शब्द रथ न्यूज (ब्यूरो)। बच्चों की छोटी सी दुनिया उसकी मां होती है, बड़े होने पर मां के दिए संस्कार ही अवचेतन मन में बैठ जाते हैं। ऐसे बच्चे जिन्हें बड़े सलाह देते हैं और उन्हें अच्छा नहीं लगता तो निश्चित रूप से वह बच्चा आगे चलकर गुमराह होगा। यह बात विशाखापट्टनम से आयोजित नई पीढ़ी समाचार पत्र/पत्रिका व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) आन्ध्रप्रदेश इकाई के वेबीनार में अध्यक्षीय संबोधन में बुलगारिया विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर, संत जोसेफ महिला महाविद्यालय विशाखापट्टनम की वर्तमान विभागाध्यक्ष व वाजा इंडिया महिला शाखा आंध्रप्रदेश की अध्यक्ष आचार्य पीके जय लक्ष्मी ने कही।
उन्होंने कहा कि बच्चों को मातृभाषा में कहानी व कविताओं के माध्यम से सीख देना चाहिए। दूसरी बात आप कितने सक्सेसफुल हैं, नहीं है, आपने अपने बच्चों के अंदर कितना आदर्श दिया है, उनके अन्दर कितना विवेक जागृत किया है, यही महत्वपूर्ण बात है। सच बात तो यह है कि नई पीढ़ी के नवनिर्माण के लिए पुरानी पीढ़ी को भी अपना नव निर्माण करना होगा

मां विद्वान न होती तो हिंदी न सीख पता

कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व वाजा इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का विषय प्रवेश करते हुए वाजा इंडिया आंध्र प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष डॉ कृष्ण बाबू ने कहा कि मां, बहन व बेटियों से ही प्रेम व वात्सल्य उपजता है। मेरी मां यदि हिंदी की विद्वान न होती, तो आज मैं हिंदी न सीख पाता।

पुराना गौरव वापस लाना होगा

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नेवी चिल्ड्रन स्कूल विशाखापट्टनम की प्रिंसिपल डॉ पारुल कुमार ने कहा कि आदिकाल में जब राजा युद्ध के लिए जाते थे, तो नारी उनका तिलक करती थी, क्योंकि वह शुभ होता था। उस दौर में राष्ट्र के लिए बेटे व पतियों को न्योछावर करने में नारियां जरा भी संकोच नहीं करती थी, समय जरूर बदल गया है। लेकिन, महिलाओं को अपने पुराने गौरव को वापस ला होगा।

सजग रहना होगा, कहीं जड़ों से कट तो नहीं रहे हम

तेलुगु की प्रतिष्ठित रचनाकार सुमन लता ने कहा कि दुनिया मुट्ठी में है। लेकिन, हम समझ ही नहीं पा रहे हैं कि हम समय का सदुपयोग कैसे करें? हमें देखना है कि हमारी जड़े कट तो नहीं रही, मिट्टी की सोंधी महक से हम दूर तो नहीं हो रहे? इसी तरह इसी तरह पूर्वी नौसेना कमान के राजभाषा की पू्र्व सहायक निदेशक अकिन्ना पल्ली भाग्यलक्ष्मी ने मध्यप्रदेश के अमरोहा गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह एक बेटी पूरे गांव के लिए आदर्श बन गई। आर्किटेक्चर अभिज्ञा ग्रंथि ने कहा कि जब मैं विदेश गई तो मैंने गौर किया कि लोग मानवता को काफी महत्व देते हैं। इस भावना को एक मां ही बच्चों में डाल सकती है, क्योंकि हम परिवार में जो देखते हैं वही करते हैं।

बच्चों को समय नहीं दे पा रही महिलाएं

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया विशाखापट्टनम की मुख्य प्रबंधक उमारानी पिन्नामानेनी ने कहा कि यदि बच्चों को घर में सही प्यार और स्नेह मिले तो वो रास्ते से नहीं भटकेंगे। साहित्यकार हेमलता राव ने कहा कि महिलाओं में संवेदना अधिक होती है, वह अपने बच्चों में संवेदना भर सकती हैं।अधिवक्ता गीता माली ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं से कहीं न कहीं चूक जरूर हो रही है, महिलाएं काम में व्यस्त हैं तो बच्चों को समय नहीं दे पा रही। कार्यक्रम के अंत में मीना गुप्ता ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन वाजा इंडिया आंध्र प्रदेश इकाई की महासचिव डॉ निर्मला देवी चिटिल्ला ने किया।

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