नई पीढ़ी के साथ बैलेंस बनाकर चलने से सही होंगी चीजें: रुचिका गुप्ता
-नई पीढ़ी फाउंडेशन व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) कोलकाता इकाई ने आयोजित किया वेबिनार। वेबिनार का विषय ‘नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका’ रहा। विषय पर वक्ताओं ने रखी बात
शब्द रथ न्यूज (Shabd Rath News)। 25 साल पहले जब हम नई पीढ़ी थे तो हमारी सोच क्या थी और अब जो नई पीढ़ी आ रही है उसकी सोच क्या है। हमें इसको देखना होगा और उनसे संतुलन बनाना होगा। यह बात सन्मार्ग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर रुचिका गुप्ता (Ruchika Gupta) ने नई पीढ़ी फाउंडेशन व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) कोलकाता इकाई के वेबीनार में कही। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के साथ बैलेंस बनाकर चलने से ही चीजें सही होंगी। वर्तमान में हमारी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं, बावजूद इसके हमें घर में सकारात्मक माहौल देना होगा और अपनी सोच को एकाग्र कर एक शक्ति पैदा करनी होगी।
नई पीढ़ी फाउंडेशन व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) कोलकाता इकाई के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को वेबिनार (Webinar) आयोजित किया गया। वेबिनार का विषय ‘नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका’ रहा। कार्यक्रम का विषय प्रवेश करते हुए राइडर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन वाजा इंडिया कोलकाता इकाई के अध्यक्ष, ताजा टीवी व छपते-छपते समाचार पत्र के संपादक विश्वंभर नेवर (Vishambhar Newar) ने कहा कि पत्रकार के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम अंधेरे व उजाले दोनों पक्ष को देखें। यदि आज नई पीढ़ी में नशे की लत बढ़ रही है तो उसका एक कारण यह भी है कि उसे मां का वह प्यार नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। नेवर ने कहा कि दुनिया तो बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। लेकिन, यह सच है कि वृद्ध आश्रमों की संख्या भी उसी गति से बढ़ रही है। नई पीढ़ी फाउंडेशन ने यह बहुत ही बढ़िया विषय उठाया है, इसके लिए मेरा हर तरह से सहयोग रहेगा।
परिचर्चा का बहुत ही गहरा मतलब
अतिथियों का स्वागत करते हुए नई पीढ़ी फाउंडेशन के अध्यक्ष व वाजा इंडिया के संस्थापक महासचिव शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी (Shivendra Prakash Dwivedi) ने कहा कि दिल्ली से शुरू हुई यह परिचर्चा बहुत ही गंभीर है। परिचर्चा को मुंबई से होते हुए हम कोलकाता तक लेकर आए हैं, आगे देश के कई हिस्सों में भी ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह परिचर्चा किसी आम परिचर्चाओं की तरह अनायास ही नहीं, बल्कि इसका एक गहरा मतलब है।
अच्छे संस्कार मॉल व रेस्टोरेंट जाने से नहीं, घर से आते हैं
ताजा टीवी की निदेशक अमृता नेवर (Amrita Newar) ने कहा कि अच्छे संस्कार मॉल व रेस्टोरेंट में जाने से नहीं बल्कि घर से ही आते हैं। परिचर्चा में सिंगापुर की प्रतिष्ठित न्यूट्रीशियन व कोलकाता की मूल निवासी मीनू अग्रवाल (Meenu Agrawal) ने कहा कि 9 महीने तक जब बच्चा पेट में रहता है, यदि गर्भावस्था के दौरान ही हम अपने शरीर व मन की सही देखभाल करें तो बच्चे को अच्छा पोषण मिलेगा, वह शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत होगा और एक बेहतरीन नई पीढ़ी का निर्माण होगा।साइंस ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि यदि गर्भावस्था में तनाव है तो इसका असर बच्चे पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। महिलाएं अपने बच्चे का ध्यान सिर्फ पढ़ाई व ए-प्लस लाने के प्रति न लगाएं बल्कि उन्हें व्यायाम, नाच-गाना और खेलकूद के लिए भी प्रोत्साहित करें। क्योंकि, उससे हैप्पी हारमोंस डवलप होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि बच्चे को मां एक बेहतर दोस्त बनाए और उनमें स्वावलंबन की भावना भरें।
बच्चों में मां को करना होगा संस्कारों का बीजवपन
प्रतिष्ठित साहित्यकार व राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन लेडीज विंग (वाजाल) कोलकाता की अध्यक्ष डॉ वसुंधरा मिश्रा (Dr Vasundhara Mishra) ने कहा कि यदि बगीचा खूबसूरत होता है तो लोग माली को पूछते हैं। वर्तमान में बच्चे संस्कार भूल रहे हैं। ऐसे में मां को ही उसके अंदर संस्कारों का बीजवपन करना होगा। करियर आफ्टर फैमिली की संस्थापक कविता अग्रवाल ने कहा कि नई पीढ़ी हमें सुनती भले न हो लेकिन, देखती जरूर है। इसलिए हम बच्चों को करके दिखाएं। हमें अपनी खुशियों पर भी ध्यान रखना चाहिए।
महिलाएं बच्चों को कैसे पालती हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिरला हाई स्कूल की डायरेक्टर मुक्ता नैन (Mukta Nain) ने कहा कि महिलाएं बच्चों को कैसे पालती हैं, वह बहुत महत्वपूर्ण है। यदि कोई भी समस्या हो तो उसमें बच्चों को इंवॉल्व कीजिए। उन्होंने इंदिरा नूई का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह व्यवसाय के साथ बच्चों पर भी ध्यान दें। करीब 2 घंटे चले कार्यक्रम में वक्ताओं ने गंभीरता से बातें रखीं। कार्यक्रम का कुशल संचालन नई पीढ़ी फाउंडेशन की कोलकाता इकाई की अध्यक्ष मनीषा टिबड़ेवाल (Manisha Tibdewal) ने किया।