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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने टीएचडीसी, केंद्र, राज्य और यूपी सरकार से मांगा जवाब

-टीएचडीसी की ओर से संचालित टिहरी बांध से अभी तक उत्तराखंड राज्य को मात्र 12 प्रतिशत आय अर्जित होती है और बांध की शेष आय यूपी सरकार व भारत सरकार को जाती है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने टिहरी बांध और उत्तराखंड में रोजगार के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तराखंड सरकार और टिहरी बांध परियोजना को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून के समाजसेवी अभिनव थापर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि टीएचडीसी की ओर से संचालित टिहरी बांध से अभी तक उत्तराखंड राज्य को मात्र 12 प्रतिशत आय अर्जित होती है और बांध की शेष आय यूपी सरकार व भारत सरकार को जाती है।

याचिका में कहा गया कि टिहरी बांध व राज्य में अन्य बांध बनने से राज्य का पर्यावरण बहुत प्रभावित हुआ है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं जैसे उत्तरकाशी 2012, केदारनाथ 2013, रैणी 2021 की विभीषिका को राज्य ने ही झेला है। टिहरी बांध का संपूर्ण भाग उत्तराखंड में ही स्थित है। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुरूप इस पर संपूर्ण अधिकार उत्तराखंड का ही बनता है, इसलिए बांध से अर्जित सम्पूर्ण आय उत्तराखंड राज्य को मिले और इसे राज्यहित में उपयोग किया जाए।

याचिका में कहा गया कि टिहरी बांध और विस्थापन का कुल खर्च 9900 करोड़ रुपये था। जबकि, 2020 तक ही टीएचडीसी ने 26000 करोड़ से ज्यादा की आय की। टीएचडीसी ने अपना हिस्सा मार्च 2020 में एनडीपीसी को बेचकर भी 7500 करोड़ रुपये की आय अर्जित की है।

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